नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को दिल्ली आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की ओर से दस्तावेजों की जांच की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान आज ईडी ने जैन की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दस्तावेजों की जांच की इजाजत नहीं दी जा सकती है। जैन की इस याचिका का मकसद सिर्फ ट्रायल में देरी करने का है। इसलिए उनकी याचिका खारिज कर जुर्माना लगाया जाए और ट्रायल के लिए आगे बढ़ना चाहिए। जैन की तरफ से पहले भी 16 बार अलग-अलग याचिका दाखिल कर मामले की सुनवाई टालने की मांग की जा चुकी है। इसके जरिए उनके द्वारा ट्रायल में देरी की कोशिश की जा रही है।
सुनवाई के दौरान सत्येंद्र जैन की ओर से कहा गया कि हम ट्रायल में देरी नहीं कर रहे हैं बल्कि हम संविधान के तहत आरोपित को मिले अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। तब कोर्ट ने सत्येंद्र जैन के वकील से पूछा कि आप इस स्टेज पर दस्तावेजों की जांच क्यों करना चाहते हैं। सत्येंद्र जैन के वकील ने कहा कि चूंकि जांच के दौरान एजेंसी ने जो दस्तावेज और बयान दर्ज किया है, हम उनको देखने की मांग कर रहे हैं। जैन के वकील ने कहा कि जो दस्तावेज जांच एजेंसी के पास हैं, आरोप तय करते समय उनमें से कुछ दस्तावेज हमारे लिए काफी अहम हो सकते हैं। जैन के वकील ने भी एजेंसी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जांच एजेंसी फेयर ट्रायल का विरोध कर रही है। जैन के वकील ने कहा 2017 में दर्ज एफआईआर पर छह साल तक जांच चली और एफआईआर दाखिल होने के पांच साल बाद गिरफ्तार किया गया। दूसरी तरफ एजेंसी की तरफ से दी गई लिस्ट को चार्जशीट दाखिल करने के समय पर नहीं दी गई और अब एजेंसी कह रही है जैन ट्रायल में देरी कर रहे हैं।
सत्येंद्र जैन की ओर से 18 नवंबर को दस्तावेजों की जांच की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की गई थी। जैन पर आरोप है कि उन्होंने 2009-10 और 2010-11 में फर्जी कंपनियां बनाई। इन कंपनियों में अकिंचन डवलपर्स प्रा.लि. इंडो मेटल इम्पेक्स प्रा.लि.. प्रयास इंफो सॉल्यूशंस प्रा.लि.. मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्रा.लि. शामिल हैं।