हे जीव तुम देह नहीं हो, तुम आकार नहीं हो, तुम हाड-मांस के पिंजर नहीं हो, तुम तो परम पिता परमात्मा के अंश एक आत्मा हो, तुम शक्ति के पुतले हो, तुम शक्तिशाली हो, तुम सत्य हो, तुम अमर हो, तुम शिव हो, तुम कल्याण हो, तुम मंगल हो, तुम पवित्र हो, तुम बलवान हो, तुम निर्दोष हो, तुम आनन्दमय हो, तुम पूर्ण हो, तुम सब प्रकार के भय से मुक्त हो।
उठो, जागो और आगे बढो, पूर्ण शक्तिशाली बनो, क्योंकि शक्ति के सामने सब नतमस्तक होते हैं। शक्ति का स्रोत परमेश्वर है, उससे सम्बन्ध स्थापित करो, वही शान्ति-सुख और आनन्द का स्थान है। परमेश्वर ही तो सब कुछ है, वही सबका रक्षक है, शुद्ध चित्त होकर अनन्य भाव से सर्वशक्तिमान परमात्मा के चरणों में शरणापन्त हो जाओ।
उस परम पिता की सच्चे मन से प्रार्थना करो, रात-दिन करो, जगत के कल्याण के लिए आत्म कल्याण के लिए आत्म शक्ति के लिए। सच्चे और सात्विक हृदय से की गई नि:स्वार्थ प्रार्थना प्रभु अवश्य स्वीकार करते हैं।