नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की।
कॉलेजियम ने अपने एक अन्य निर्णय में न्यायमूर्ति वराले की सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी एस दिनेश कुमार को (उच्च न्यायालय का) मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की।
न्यायमूर्ति कुमार 24 फरवरी 2024 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की कॉलेजियम ने यह फैसला लिया है।
शीर्ष अदालत से 25 दिसंबर 2023 को न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायाधीश का एक पद खाली हुआ था।
न्यायमूर्ति वराले (मूल रूप से बॉम्बे उच्च न्यायालय से हैं) अनुसूचित जाति से संबंधित सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। वह देशभर के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों में से अनुसूचित जाति से संबंधित एकमात्र मुख्य न्यायाधीश हैं।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता क्रम में वह छठवें स्थान पर थे। बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वरिष्ठता में वह सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।
न्यायमूर्ति वराले को 18 जुलाई 2008 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें 15 अक्टूबर 2022 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले उन्होंने जिला और सत्र न्यायालय में नागरिक, आपराधिक, श्रम और प्रशासनिक कानून मामलों में और औरंगाबाद में उच्च न्यायालय पीठ में संवैधानिक मामलों में 23 वर्षों से अधिक समय तक वकालत किया।