पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में बढ़ते हिंसा, बलात्कार के बढ़ते मामलों के कारण राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) जमीनी स्तर पर जानकारी जुटाने के बाद सक्रिय है। संदेशखाली की यात्रा के 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति भवन को एनसीएससी की पूर्ण पीठ ने रिपोर्ट भेज दी है जिसमें हर कदम पर बंगाल पुलिस प्रशासन द्वारा असहयोग से लेकर जांच में लापरवाही समेत कई और आरोप लगाकर बंगाल में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की गई है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के प्रमुख अरुण हलदर ने बताया कि आयोग ने संदेशखाली में टीएमसी समर्थकों द्वारा महिलाओं के कथित उत्पीडऩ पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को संदेशखाली का दौरा किया था। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा 19 फरवरी को संदेशखाली जाएंगी। वह सभी पीडि़ताओं से बातचीत भी करेंगी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संदेशखाली में हिंसा और यौन उत्पीडऩ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में इसकी जांच बंगाल से बाहर कराने की मांग की गई है।
आपको बता दे कि पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले में स्थित बांग्लादेश की सीमा से सटे संदेशखाली क्षेत्र का नाम 5 जनवरी से पहले शायद ही किसी ने सुना होगा। अब संदेशखाली का नाम हर अखबार के पन्ने पर छाया हुआ है। आखिर संदेशखाली में क्या है विवाद, क्यों यहां के लोग ममता बनर्जी से हैं नाराज? मामले की जानकारी के लिए आपको बता दे कि बड़ी संख्या में संदेशखाली की महिलाएं पिछले कुछ दिनों से ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। इस बीच प्रदर्शनकारी महिलाओं और पुलिस के बीच झड़प की खबर भी आती रही है। महिलाओं का आरोप है कि ममता की पार्टी टीएमसी के नेता शेख शाहजहां ने उनका यौन उत्पीडऩ किया और फिर जबरन जमीनों पर कब्जा कर लिया।
महिलाओं की मांग है कि टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उसके गुर्गों को गिरफ्तार किया जाए। महिलाओं ने पुलिस पर आरोपियों से सांठ-गांठ करने का आरोप भी लगाया है। इतना ही नहीं पीडि़त महिलाओं के समर्थन में भाजपा नेता भी सड़क पर उतर आए हैं। स्पष्ट है कि संदेशखाली का मुद्दा पर राजनीतिक रंग रूप ले चुका है। भाजपा और टीएमसी एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। भाजपा ने टीएमसी सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा में फेल होने का आरोप लगाया है। टीएमसी ने भाजपा पर राजनीतिक फायदे के लिए विवाद को भड़काने का आरोप लगाया है।
अब सबसे पहले पहले जानिए कैसे शुरू हुआ संदेशखाली में यह विवाद
यह बात है 5 जनवरी 2024 की है जब दिन से जब प्रवर्तन निदेशालय (श्वष्ठ) ने नॉर्थ 24 परगना जिला मुख्यालय से करीब 74 किलोमीटर दूर संदेशखाली में रहने वाले तृणमूल कांग्रेस के एक नेता शाहजहां शेख के घर रेड की थी। टीएमसी से जिला पंचायत सदस्य बने शाहजहां शेख के खिलाफ ईडी ने ये रेड करोड़ों रुपये के राशन घोटाले को लेकर की थी। तब शाहजहां शेख के लोगों ने ईडी की टीम को गांव में घुसने से रोक दिया। उस समय ईडी की टीम पर हमला भी हुआ और शाहजहां शेख के लोगों ने ईडी की टीम को तब तक उलझाए रखा जब तक कि शाहजहां शेख फरार नहीं हो गया।
ईडी की टीम को भी खाली हाथ वापस लौटना पड़ा और तब संदेशखाली की महिलाएं सामने आने लगीं। उन्होंने दावा किया कि शाहजहां शेख का संदेशखाली में इतना दबदबा रहा है कि उसने कई साल से महिलाओं की जमीन पर जबरदस्ती कब्जा कर रखा है। दावे के अनुसार शाहजहां शेख के गुंडे उन महिलाओं का यौन उत्पीडऩ भी करते हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता 42 वर्षीय शाहजहां शेख जो ‘भाईÓ के नाम से फेमस हैं, उन पर यौन शोषण और दबंगई जैसे ये गंभीर आरोप लग रहे हैं। यहां प्रदर्शनकारी महिलाएं शाहजहां शेख पर आरोप लगाते हुए रो पड़ती है ।
महिलाओं का दावा था कि टीएमसी के गुंडे घर-घर जाते हैं। वहां कोई खूबसूरत महिला दिखती है या फिर कम उम्र की कोई सुंदर लड़की दिखती है तो वो गुंडे उन महिलाओं-लड़कियों को पकड़कर पार्टी के ऑफिस लेकर जाते हैं। वो उन महिलाओं को कई-कई रात तक पार्टी ऑफिस में ही जबरन रखते हैं, उनका रेप करते हैं और जब मन भर जाता है तो उन्हें वापस छोड़ जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब संदेशखाली की महिलाओं के साथ लंबे वक्त से ऐसा अत्याचार हो रहा था, तो उन्होंने पहले आवाज क्यों नहीं उठाईं? इस पर महिलाओं कहना है कि ईडी की छापेमारी के बाद जब शाहजहां शेख और उसके आदमी संदेशखाली छोड़कर फरार हो गए, तब हमें बोलने की हिम्मत मिली और अब हमने अपने मुंह बांधकर अपने खिलाफ हुई ज्यादती को मीडिया में बयान किया है।
संदेशखाली की महिलाओं ने शाहजहां शेख के अलावा टीएमसी के ही नेता उत्तम सरदार और शिवप्रसाद हजारा को भी इस भयानक ज्यादती के लिए जिम्मेदार ठहराया है। महिलाओं का दावा है कि किसी महिला का पति तो है लेकिन उस पति का अपनी पत्नी पर अधिकार नहीं है। कुछ पुरुषों को अपनी पत्नियों को हमेशा के लिए छोडऩा पड़ गया है क्योंकि टीएमसी के गुंडे उन्हें अपने साथ रख रहे हैं। ऐसे में गांव के पुरुषों ने घर छोड़ दिया है और वो दूसरे राज्यों में जाकर काम कर रहे हैं क्योंकि अगर वो यहां रहे तो उन्हें जान का खतरा है।
अपने साथ हुई ज्यादती को बताते हुए संदेशखाली की महिलाओं ने पुलिस थाने के सामने प्रदर्शन किया था । शाहजहां शेख और शिवप्रसाद हजारा की गिरफ्तारी की मांग की तो मीडिया को भी पता चला कि संदेशखाली में हुआ क्या है। इस बीच 9 फरवरी को प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने शिवप्रसाद हजारा के तीन मुर्गी फॉर्म को आग के हवाले कर दिया और दावा किया कि जमीन उनकी है जिसे शिवप्रसाद हजारा ने जबरन हथिया लिया है।
अब जैसे ही ये खबर बाहर आई, विपक्ष को मुद्दा मिल गया। क्या भाजपा, क्या कांग्रेस और क्या लेफ्ट पार्टी, तीनों ने ही सीएम ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। महिलाओं की आवाज बनते हुए इन पार्टियों ने तत्काल ही संदेशखाली के आरोपी शाहजहां शेख और शिवप्रसाद हजारा की गिरफ्तारी के लिए प्रदर्शन शुरू कर दिया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस को भी केरल दौरा बीच में छोडऩे पर मजबूर कर दिया और वो भी संदेशखाली पहुंच गए। पीडि़त महिलाओं से बातचीत के बाद राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने दावा किया कि उन्होंने जो देखा वो भयावह और हैरान कर देने वाला मामला है। वे बताते है कि उन्होंने वो देखा है, जो ताउम्र वे कभी नहीं देखना चाहेंगे। उन्होंने वो देखा, जो कभी नहीं देखा था। उन्होंने वो सुना, जो कभी नहीं सुना था। उनके अनुसार यह किसी भी सभ्य समाज के लिए ये एक शर्म की बात है।
संदेशखाली से लौटने के बाद राज्यपाल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी अपनी रिपोर्ट सौंपी है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि स्थानीय लोग चाहते हैं कि इस मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई जाए। हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्ष के तमाम दावों को राजनीति से प्रेरित करार दिया है और कहा है कि जो भी दोषी हैं, वो सलाखों के पीछे हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कह रही हैं कि संदेशखाली में जो हुआ है, उसके लिए ईडी जिम्मेदार है और संदेशखाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गढ़ बन गया है। भाजपा कह रही है कि उनके नेताओं को संदेशखाली जाने से रोका जा रहा है, उनके प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सुकांत मज़मूदार के साथ बशीरहाट की पुलिस ने हिंसा की है।भाजपा के नेता संदेशखाली जाना चाहते हैं, तो ममता बनर्जी की पुलिस उन्हें रोकना चाहती है। पिछले करीब एक हफ्ते से यही चल रहा है, लेकिन किसी ने भी उन पीडि़त महिलाओं को न्याय दिलाने या फिर उनके खिलाफ हुई हिंसा पर मरहम लगाने के लिए अभी तक कुछ भी नहीं किया है।
भाजपा ने किया है तो सिर्फ ममता बनर्जी पर हमला और ममता बनर्जी ने किया है तो सिर्फ भाजपा पर हमला लेकिन सवाल है कि उन महिलाओं का क्या। उनका क्या कसूर है कि पिछले कई साल से वो एक दबंग की दबंगई से डरकर मुंह नहीं खोल रहीं थीं और अब उन्होंने मुंह खोला है तो महिलाओं पर हुए जुल्म के अलावा राजनीतिक पार्टियां तमाम दूसरी बातें कर रही हैं।
मछली का बिजनेस करने वाले शाहजहां शेख की राजनीतिक एंट्री की बात करें तो उन्होंने 2004 में ईंट भ_ा यूनियन से अपनी राजनीति शुरू की थी। इसके बाद सीपीआई (एम) ने उन्हें यूनियन नेता बना दिया। इसके बाद उन्होंने विवादित जमीनों की खरीद-फरोख्त और ब्याज पर पैसा देने का काम शुरू कर दिया जिससे उनका रसूख बढ़ता चला गया। 2011 में शेख ने सीपीएम छोड़कर टीएमसी ज्वाइन की और मुकुल राय के बेहद करीबी बन गए। यहां से पहुंचते हुए वो टीएमसी के दिग्गज नेता ज्योतिप्रिय मल्लिक के करीबी बन गए और धीरे-धीरे सत्ता और प्रशासन में बड़ी बना ली। आरोप यह भी है कि 2018 में ग्राम पंचायत के उप प्रमुख बनने के बाद उन्होंने जमीन कब्जाने का गोरखधंधा भी शुरू कर दिया।
अब देखने वाली बात यह है कि राष्ट्रपति को रिपोर्ट मिलने के बाद केंद्र सरकार क्या कदम उठाती है जबकि पश्चिम बंगाल में ममता के राज में हिंसा की यह इकलौती घटना नहीं है । हिंसा का दौर सीपीआई (एम) से शुरू होकर टीएमसी के राज में भी जारी है जिसे रोकना जरूरी है और यह केवल राष्ट्रपति शासन में ही संभव है।
-अशोक भाटिया