भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने दशकों से लंबित “नागरिकता संशोधन कानून“(सीएए) को लागू कर दिया है। सीएए लागू होना प्रधानमंत्री मोदी की एक और गारंटी पूरी होना है। देश में सीएए के लागू होने से किसी की नागरिकता पर कोई आंच नहीं आएगी। इस कानून से अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर वर्षों से प्रताड़ित और 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण मांगने वाले हिंदू, बौद्ध, सिख, ईसाई, जैन और पारसी भाई-बहनों को नागरिकता मिलेगी।
यह बात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने सोमवार को सीएए लागू होने पर प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सीएए तीन देशों के छह अल्पसंख्यक समुदाय को नागरिकता का अधिकार देने का कानून है। सीएए लागू होना केंद्र सरकार का एक और ऐतिहासिक निर्णय है। यह मानवता के कल्याण का कार्य है, क्योंकि इसके लागू होने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यक नागरिकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी, जिन लोगों ने 31 दिसंबर 2014 तक भारत में शरण ली थी।
सीएए लागू होने से शरणार्थियों के सांस्कृतिक व सामाजिक पहचान की रक्षा होगी
शर्मा ने कहा कि सीएए शरणार्थियों के नागरिकता व पुनर्वास की कानूनी बाधाओं को दूर करेगा। इस कानून से पीड़ित शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन देने के साथ उनके सांस्कृतिक, भाषिक और सामाजिक पहचान की रक्षा भी हो सकेगी। साथ ही नागरिकता प्राप्त करने की योग्यता रखने वाले शरणार्थियों को आर्थिक, व्यावसायिक, देश में कहीं भी आने-जाने, संपत्ति खरीदने जैसे अधिकार भी सुनिश्चित होंगे।
शरणार्थियों को मूलभूत अधिकार देगा सीएए
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि यह नागरिकता संशोधन अधिनियम केवल उन लोगों के लिए है, जिन्होंने वर्षों से उत्पीड़न सहा और जिनके पास शरण लेने के लिए दुनिया में भारत के अलावा कोई और जगह नहीं है। भारत का संविधान हमें यह अधिकार देता है कि मानवतावादी दृष्टिकोण से धार्मिक शरणार्थियों को मूलभूत अधिकार मिले और ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान की जा सके। भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के संकल्प पत्र में कहा था कि हम सीएए लागू करेंगे। आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने पार्टी के उस संकल्प को पूरा कर दिया है।