नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिला। पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी का बुधवार को कांग्रेस में विलय हो गया।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा और अन्य नेताओं की मौजूदगी में पप्पू यादव की पार्टी का कांग्रेस में विलय किया गया। लेकिन, पप्पू यादव की पार्टी के कांग्रेस में विलय कराए जाने के कुछ देर बाद ही पार्टी में अंदरूनी कलह भी सामने आ गई।
दरअसल, बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह पार्टी के इस कदम से बेहद नाराज हैं।
बता दें कि बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह की अनुपस्थिति पप्पू यादव की पार्टी के विलय के समय साफ नजर आई। जिसके बाद पप्पू यादव की पार्टी को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर पार्टी की राज्य इकाई के भीतर मतभेद और दरार की खबरों को बल मिला।
बिहार कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने खुलासा किया कि ‘बाहुबली’ से राजनेता बने पप्पू यादव को शामिल करने के फैसले को पार्टी आलाकमान ने राज्य नेतृत्व को बिना बताए और सलाह किए बगैर मंजूरी दे दी थी। कथित तौर पर अखिलेश सिंह दागी चेहरों और आपराधिक अतीत वाले लोगों के साथ गठबंधन करने को लेकर हमेशा असहज रहे हैं और जब जन अधिकार पार्टी (जेएपी) के साथ संभावित समझौते पर उनकी राय मांगी गई तो उन्होंने पार्टी आलाकमान को भी अपनी नाराजगी से अवगत कराया था।
विशेष रूप से दिसंबर 2022 में बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपनी नियुक्ति के बाद से अखिलेश प्रसाद सिंह ने पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया है।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि पप्पू यादव ने राहुल गांधी की जबरदस्त प्रशंसा की। जिसने उन्हें सबसे पुरानी पार्टी में जगह दिला दी।
सूत्रों के अनुसार, पप्पू यादव को पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस टिकट दे सकती है, जहां से कांग्रेस के उदय सिंह अब तक संभावित उम्मीदवार थे। उदय सिंह भाजपा से सांसद रह चुके हैं, लेकिन 2014 में पाला बदलकर कांग्रेस के साथ आ गए थे। उदय सिंह के परिवार का बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिंह से करीबी रिश्ता रहा है। उनकी मां, बहन, बहनोई भी कांग्रेस सांसद रह चुके हैं।
बिहार में कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि पप्पू यादव के कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से कोई खास लाभ मिलने की संभावना नहीं है। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को लगता है कि इसका उल्टा असर हो सकता है। कांग्रेस और राजद आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा-जदयू की ताकत का मुकाबला करने और दोहरे अंकों में सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन 2019 के चुनावों में इसी तरह के आमने-सामने की स्थिति के कारण इसकी संभावना बहुत कम लगती है।
‘बाहुबली’ से नेता बने पप्पू यादव को शामिल करके कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने न केवल पार्टी की राज्य इकाई में दरार पैदा किया है, बल्कि पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी असर डाला है। इसके साथ ही कांग्रेस का यह कदम सहयोगी राजद को भी पसंद नहीं है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पप्पू यादव को पहले से ही नापसंद करते रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो पप्पू यादव को मंगलवार को लालू यादव से शिष्टाचार मुलाकात करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए कहा गया था। लेकिन, इस मुलाकात के बाद भी यह ज्ञात नहीं है कि राजद सुप्रीमो ने पप्पू यादव के साथ अपने मतभेदों को पूरी तरह से सुलझा लिया है या नहीं।