नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि मोदी सरकार के पिछले 10 वर्ष के कार्यकाल में सरकार द्वारा बड़े स्तर पर पूंजीगत व्यय किया गया है। इससे देश में अभूतपूर्व आर्थिक विकास हुआ है।
उन्होंने इस पोस्ट में कांग्रेस से 2004 से 2014 के कार्यकाल का भी जिक्र किया कि कैसे कांग्रेस सरकार के दौरान इन्फ्रास्ट्रक्चर में कम निवेश किया गया और इससे देश का आर्थिक विकास भी प्रभावित हुआ है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए वित्त मंत्री ने लिखा, “दुनियाभर में सरकारों का ध्यान अपने देश में पूंजीगत व्यय करके अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर और संपत्तियां बनाने पर होता है। इससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार आता है। 2004-14 की कांग्रेस सरकार ने देश को दुनिया की पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में पहुंचा दिया था। इसका बड़ा कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान न देना और देश की आर्थिक जरूरतों को दरकिनार करना था।”
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने सड़क, रेलवे और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में कम निवेश किया। उस समय के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने तो ये कहा था कि विकसित बॉर्डर की अपेक्षा खराब बॉर्डर ज्यादा सुरक्षित है। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी विश्वास करते हैं कि बॉर्डर पर मौजूद गांव भारत के आखिरी नहीं, बल्कि पहले गांव हैं। सरकार “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” के तहत इन गांव में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर उन्हें मजबूत बना रही है। यूपीए सरकार का कार्यकाल निर्णय, गतिरोध के उदाहरणों से भरा पड़ा है। 2004-14 के बीच लागत में वृद्धि, रुकी हुई परियोजनाएं और समय पर मंजूरी की कमी आम बात थी। केंद्रीय सचिव ने 2013 में माना था कि निजी और सरकारी क्षेत्र के कई परियोजनाओं (विशेषकर इन्फ्रा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर) में देरी केवल इस कारण से हो जाती है कि उन्हें समय से अनुमति नहीं मिल पाती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने एक पत्र में उस समय भारत में निवेश कम होने के तीन कारण बताए गए थे। पहला- नीतियों को लेकर स्पष्टीकरण न होना, दूसरा- परियोजनाओं की अनुमति में देरी होना और तीसरा- कार्यान्वयन और आपूर्ति में बाधाएं आना था। कैग की 2014 की रिपोर्ट में बताया गया था कि रेलवे बोर्ड ने पुल कार्यों के पुनर्वास को मंजूरी देने में औसतन 43 महीने का समय लगाया और उन्हें 41 महीने की औसत देरी से पूरा किया गया।
सीतारमण ने आगे कहा कि पीएम मोदी इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर तेजी से काम कर रहे हैं। पीएम परियोजनाओं के विकास को स्वयं देखते हैं। इसके लिए प्रगति प्लेटफॉर्म भी लाया जा चुका है। इसकी मदद से लंबे समय से देरी से चल रहे प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया जाता है। अब तक 43 प्रगति बैठकों में प्रधानमंत्री की ओर से 17.36 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट रिव्यू किए जा चुके हैं।
उन्होंने आगे कहा, “2003 से 2004 के बीच देश में पूंजीगत व्यय कुल खर्च का 23 प्रतिशत था, जो कि 2005 से लेकर 2014 के बीच औसत 12 प्रतिशत था। आप सोच सकते हैं कि इससे देश का कितना आर्थिक नुकसान हुआ है।”
वहीं, मोदी सरकार में वित्त वर्ष 2023-24 में पूंजीगत व्यय 21 प्रतिशत से अधिक था, जो कि 2013-14 में केवल 12 प्रतिशत था। उन्होंने आगे कहा कि 2014 से हमारी सरकार ने बजट में पूंजीगत व्यय के लिए कुल 43.53 लाख करोड़ का प्रावधान किया है। यह यूपीए की 2004-14 की सरकार की तुलना में 3.72 गुना ज्यादा है।