कोलकाता। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के लिए चुनाव प्रचार के आखिरी दिन शनिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारत सेवाश्रम संघ, राम कृष्ण मिशन और इस्कॉन जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक संस्थाओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि इन संगठनों के कुछ साधु चुनाव में भाजपा की मदद कर रहे हैं। भारत सेवाश्रम के चर्चित संन्यासी प्रदीप्तानंद महाराज उर्फ कार्तिक महाराज का नाम लेकर ममता ने कहा कि वह टीएमसी को धमकी दे रहे हैं। इस पर रविवार को कार्तिक महाराज ने प्रतिक्रिया दी है। हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा- “विनाश काले, विपरीत बुद्धि’ हो जाती है। अब ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के विनाश का समय आ गया है, इसलिए साधु-संन्यासियों को निशाना बना रही हैं।”
कार्तिक महाराज ने कहा कि पिछले साल गंगासागर में देशभर से आए साधु-संन्यासियों को जिस बर्बर तरीके से पीटा गया था, उसे पूरे देश ने देखा था। अब यहां भागवत कार्य में लगे संन्यासियों को सीधे तौर पर सूबे की मुख्यमंत्री की ओर से बिना किसी आधार के इस तरह से निशाना बनाया जाना बताता है कि विनाश का समय आ गया है।
कार्तिक महाराज ने कहा, “चुनाव के दिन मैं सीधा बूथ पर गया और वोट डाल कर आश्रम वापस आ गया। हां, टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के खिलाफ हमने बयान जरूर दिए हैं। वह इसलिए क्योंकि वह सांप्रदायिक बातें करता था। वह प्रधानमंत्री मोदी पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं। वह हिंदुओं को भागीरथी में बहाने की बात करता है।”
ममता बनर्जी ने अपने बयान में आरोप लगाया था कि कुछ भिक्षु या मिशन से जुड़े लोग भी बीजेपी की मदद करने में लगे हुए हैं और उन्हें दिल्ली से ऑर्डर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ और रामकृष्ण मिशन के लोग सीधे तौर पर टीएमसी के खिलाफ काम कर रहे हैं। हुगली के जयरामबाटी में एक रैली के दौरान ममता बनर्जी ने कार्तिक महाराज पर आरोप लगाया कि उन्होंने वह टीएमसी एजेंट्स को बूथ में नहीं घुसने देने की धमकी देते हैं।
उन्होंने रामकृष्ण मिशन पर भी टिप्पणी की। ममता का कहना था कि जब चुनाव आता है तो उन्हें दिल्ली से निर्देश मिलते हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि वह कार्तिक महाराज को संत नहीं मानती हैं क्योंकि वह सीधे तौर पर राजनीति में शामिल हो गए हैं। ममता बनर्जी ने कहा, मैं भारत सेवाश्रम संघ का बहुत सम्मान करती थी। मैंने रामकृष्ण मिशन की उस समय मदद की जब सीपीएम ने फूड सप्लाई रोक दी थी और अधिकारों पर रोक लगा दी गई थी। मैंने 700 एकड़ की जमीन इस्कॉन को दी। ममता ने कहा, अगर मैं ना होती तो आज स्वामी विवेकानंद का घर ना बचा होता।
ममता बनर्जी के इस बयान के बारे में प्रतिक्रिया के लिए रामकृष्ण मिशन के संबंधित अधिकारियों से भी संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर इस पर टिप्पणी से इनकार कर दिया। एक सदस्य ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि मिशन राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहता है, इसलिए मिशन के साधु-संन्यासी वोट तक नहीं डालते।
इस्कॉन के प्रतिनिधि ने भी इस पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हमें राजनीति नहीं करनी।
उल्लेखनीय है कि स्वामी प्रदीप्तानंद की अध्यक्षता में “एक लाख कंठे गीता पाठ” (एक लाख लोगों द्वारा सामूहिक गीता पाठ) का आयोजन पिछले साल दिसंबर में कोलकाता में हुआ था, इसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी।