Sunday, April 13, 2025

मदरसों में हिंदू, अन्य गैर मुस्लिम बच्चों को रखना उनके संवैधानिक अधिकार का हनन- प्रियंक कानूनगो

लखनऊ। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों को रखने की घटना को उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया है। उन्होंने कहा है कि मदरसों में इस तरह की घटनाएं समाज में धार्मिक वैमनस्य पैदा कर सकती हैं।

 

प्रियंक कानूनगो ने शनिवार को एक न्यूज की कटिंग को अपने एक्स पर पोस्ट किया है। जिस में लिखा है कि साल 2008 में चंडीगढ़ से एक बच्चा लापता हो गया था। बाद में ये बच्चा मुजफ्फरनगर के चरथावल कस्बे के एक मदरसे में मिला था। उसके पिता ने अपने बेटे के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी। जांच में इस बच्चे का सहारनपुर कनेक्शन सामने आया। इसके साथ प्रियंक कानूनगो ने कैप्शन में लिखा कि मदरसा, इस्लामिक मजहबी शिक्षा सिखाने का केंद्र होता है और शिक्षा अधिकार कानून के दायरे के बाहर होता है। ऐसे में मदरसों में हिंदू व अन्य गैर मुस्लिम बच्चों को रखना न केवल उनके संवैधानिक मूल अधिकार का हनन है बल्कि समाज में धार्मिक वैमनस्य फैलने का कारण भी बन सकता है।

 

 

उन्होंने कहा, इसलिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने देश की सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि संविधान के अनुरूप मदरसों के हिंदू बच्चों को बुनियादी शिक्षा का अधिकार मिले, इसलिए उन्हें स्कूल में भर्ती करें और मुस्लिम बच्चों को भी धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ शिक्षा का अधिकार देने के लिए प्रबंध करें। कानूनगो ने कहा, इस संबंध में उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार के मुख्य सचिव ने आयोग की अनुशंसा के अनुरूप आदेश जारी किया था।

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समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद नामक इस्लामिक संगठन इस आदेश के बारे में झूठी अफवाह फैला कर लोगों को गुमराह कर सरकार की खिलाफत में जन सामान्य की भावनाएं भड़काने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा, गत वर्ष उत्तर प्रदेश के देवबंद से सटे हुए एक गांव में चल रहे एक मदरसे में एक गुमशुदा हिंदू बच्चे की पहचान बदलने और धर्मांतरण करने की घटना से सांप्रदायिक सामंजस्य बिगड़ा था। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भी ये कार्यवाही जरूरी है। उत्तर प्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम भी लागू है, किसी को भी बच्चों की धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन नहीं करना चाहिए।

 

 

कानूनगो ने आगे कहा, मेरी जनसामान्य से विनती है कि ये मामला बच्चों के अधिकार का है, किसी भी कट्टरपंथी के बहकावे में न आयें और बच्चों के एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने में सहभागी बनें। अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई हेतु सरकार से निवेदन किया जा रहा है। बता दें कि हाल ही में यूपी सरकार ने कहा था कि प्रदेश भर में संचालित सभी गैर मान्यता प्राप्त चार हजार 204 मदरसों में पंजीकृत छात्रों का दाखिला अब बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में किया जाएगा।

 

 

साथ ही मदरसों में पढ़ने वाले सभी गैर-मुस्लिम छात्रों का दाखिला भी अब बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालय में ही कराया जाएगा। इसको लेकर एनसीपीसीआर ने मुख्य सचिव और अल्पसंख्यक आयोग को पत्र लिखा। इसके बाद मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी जिलों के डीएम को निर्देश जारी किए। जिसमें कहा गया है कि वे अपने-अपने जिलों में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कर उनमें पढ़ने वाले छात्रों का दाखिला बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में कराएं।

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