Friday, September 20, 2024

अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी, जानबूझकर नहीं की जा रही भर्ती: सौरभ

नयी दिल्ली- दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में डॉकटर और पैरामेडिकल कर्मचारियों की भारी कमी होने के बावजूद जानबूझकर रिक्त पदों पर भर्ती नहीं की जा रही है।

श्री भारद्वाज ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि जब दिल्ली में कोई बड़ा संकट आता है और हम सबूत के आधार पर यह आरोप लगाते हैं कि इस संकट के पीछे दोषी उपराज्यपाल हैं तो उनके कार्यालय से बड़ा ही अटपटा सा जवाब आता है I उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले अस्पतालों में डॉक्टर और पैरामेडिकल कर्मचारी की भारी कमी का मामला उठाया था। इस मामले में भी उपराज्यपाल कार्यालय से संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

उन्होंने कहा कि उन्होंने जब से दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री का पदभार संभाला है तब से लेकर अब तक उपराज्यपाल को कई बार पत्र लिखकर इस बात से अवगत करा चुका हूं कि दिल्ली के अस्पतालों में लगभग 30 प्रतिशत डॉक्टर और विशेषज्ञ के पद खाली पड़े हैं, सैकड़ो पद पैरामेडिकल स्टाफ के खाली पड़े हैं, उन पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए। उन्होंने कहा कि हमारे पत्रों के जवाब में भी उपराज्यपाल कार्यालय से बड़ा ही अटपटा सा जवाब हमारे पास आया कि हमारे पास लगभग 25-26 विशेषज्ञों की सूची आ गई है, परंतु हम इनकी तैनाती नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं है और राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की बैठक नहीं हो पा रही है।

श्री भारद्वाज ने कहा कि कुछ दिनों पहले भी बताया था कि दिल्ली के आशा किरण होम शेल्टर में 13 लोगों की मृत्यु हो गई थी और छानबीन करने पर यह बात सामने आई थी, कि आशा किरण होम शेल्टर में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी थी। ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार सीधे तौर पर उपराज्यपाल के अधीन आता है, तो इन्हीं की गलती से यह मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि इस आरोप के जवाब में उपराज्यपाल कार्यालय से एक जवाब जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि क्योंकि एनसीसीएसए की बैठक नहीं हो पाई इसलिए हम आशा किरण होम शेल्टर में मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर की तैनाती नहीं कर सके। उन्होंने कहा हालांकि बाद में कोर्ट की फटकार के बाद इस मामले में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती बिना एनसीसीएसए से कर दी गई है।

उन्होंने कहा कि सामान्यतः एक अस्पताल को संभालने के लिए एक डायरेक्टर या एक मेडिकल सुपरिंटेंडेंट होना चाहिए। परंतु हालत यह है कि एक व्यक्ति को कई कई अस्पतालों की जिम्मेदारी दी हुई है, जिसके कारण वह अपनी जिम्मेदारियां को सही तरीके से नहीं निभा पा रहा है। इस मामले में भी उपराज्यपाल कार्यालय से वही ऊलजलूल जवाब दिया गया, क्योंकि एनसीसीएसए की बैठक नहीं हो पाई इसलिए हम अस्पतालों में डॉक्टर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती नहीं कर पाए हैं।

श्री भारद्वाज ने दिल्ली के अंबेडकर मेडिकल कॉलेज में घटित एक घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि उस मेडिकल कॉलेज में दो छात्राओं के साथ एक प्रोफेसर ने शारीरिक शोषण करने की कोशिश की और शिकायत करने के बाद उप राज्यपाल जिनके अधीन सीधे तौर पर सर्विसेज विभाग आता है, उनके कार्यालय से कोई कार्यवाही नहीं की गई ना तो उस दोषी प्रोफेसर को हटाया गया और ना ही कॉलेज के प्रिंसिपल के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई और प्रश्न पूछने पर वही अटपटा सा जवाब उपराज्यपाल कार्यालय से आया। उन्होंने कहा कि जब यह खबर मीडिया में बहुत ज्यादा उठी और दबाव बना तो मजबूरन उपराज्यपाल को उस दोषी प्रोफेसर को निलंबित करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि बंगाल में घटित घटना को लेकर तो भारतीय जनता पार्टी खूब शोर मचाती है, परंतु जब इसी प्रकार की घटना दिल्ली में हुई तो भाजपा शासित केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए उपराज्यपाल ने दोषी प्रोफेसर और प्रिंसिपल के खिलाफ तो कोई कार्रवाई की ही नहीं, उल्टा कॉलेज के प्रशासन ने उन दोनों लड़कियों को झूठे मामले में फंसाने की साजिश की।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,334FansLike
5,410FollowersFollow
107,418SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय