Friday, October 11, 2024

अनमोल वचन

आज दुर्गाष्टमी है और महानवमी भी। शारदीय नवरात्रों का समापन है। आज कन्या पूजन होगा, कन्याओं का सत्कार होगा। उन्हें श्रद्धा से भोजन कराया जायेगा, उनके चरण धोकर उन्हें भेंट दी जायेगी, उनका आशीर्वाद लिया जायेगा, परन्तु हमारे सभ्य समाज का आचरण कितना विडम्बनापूर्ण है कि एक ओर तो हम इन कन्याओं का देवी शक्ति के रूप में पूजन करते हैं, वहीं दूसरी ओर विडम्बना यह है कि कन्या भ्रूण हत्याएं की जा रही हैं। व्यवहार का यह विरोधाभास समाप्त होना चाहिए। पुत्र और पुत्री में भेद करना पाप है। सच्चाई तो यह है कि पुत्र की अपेक्षा पुत्रियां माता-पिता का अधिक ख्याल रखती है। यहां तक कि विवाह होने के पश्चात ससुराल जाकर भी वे माता-पिता के लिए अधिक चिंतित रहती हैं। दूसरे हम कन्याओं के साथ उनके सामाजिक और आर्थिक परिवेश के आधार पर भेदभाव करते हैं। नवरात्रों पर कन्या पूजन (कंजक) में हम उन्हीं कन्याओं का पूजन करते हैं, उन्हीं परिवारों से कन्याओं को बुलाते हैं, जो अपने स्तर के हों, उन गरीब कन्याओं को बुलाया ही नहीं जाता, जिन्हें ऐसा भोजन अपने घर में नसीब नहीं होता, जबकि पुण्य तो निर्धन परिवारों की कन्याओं को भोजन से तृप्त कराने और ऐसी वस्तुओं की भेंट देने से होगा, जिनकी उन्हें नितान्त आवश्यकता है। ऐसी कन्याओं के चरण स्पर्श से आपका झूठा अहंकार भी टूटेगा, जो पहले से ही तृप्त है, उन्हें भोजन कराने और भेंट देने से कुछ पुण्य मिलने वाला नहीं।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,445FollowersFollow
115,034SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय