Tuesday, December 17, 2024

अनमोल वचन

शास्त्रीय वचन है ‘अतिस्वार्थ व्यक्ति को विनाश की ओर ले जाता है और परोपकार व्यक्ति का कल्याण करता है। इस कारण बुद्धिमान लोग स्वार्थ या अतिस्वार्थ को अच्छा नहीं मानते और परोपकार को श्रेष्ठ मानते हैं। स्वार्थ से तात्पर्य है केवल अपने लाभ के लिए कार्य करना, दूसरों के हित के बारे में न सोचना केवल अपने सुख के बारे में ही सोचना और अपने ही सुख के लिए पुरूषार्थ करना।

इसे ही स्वार्थ कहते हैं और अपना ही लाभ जो जाये भले ही दूसरों की कितनी भी हानि हो इसे अतिस्वार्थ कहते हैं। परोपकार का अर्थ है कि दूसरों को भी सुख मिले ऐसा सोचना और दूसरों के सुख के लिए भी कार्य करना।

परोपकार करने से ईश्वर आपको वर्तमान और भविष्य दोनों में अवश्य ही सुख देगा। प्रभु न्यायकारी है, उसका नियम है ‘जो व्यक्ति अच्छे काम करता है, उसको ईश्वर सुख देता है और जो केवल अपना ही लाभ सोचता है, वैसे ही काम करता है, अतिस्वार्थ बनकर दूसरों की हानि भी करता है उसे ईश्वर दंड देता है। इसलिए ईश्वर के दंड से बचने के लिए और सदा सुखी रहने के लिए परोपकार अवश्य ही करना चाहिए।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय