Sunday, January 12, 2025

नोएडा में एमएसडब्ल्यू के नियमों का उल्लंघन करने वाले शहर के तीन नामी संस्थानों पर 7 लाख का जुर्माना

नोएडा। नोएडा में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एमएसडब्ल्यू) नियम-2016 का उल्लंघन करने वाले शहर के नामी तीन संस्थानों पर 7 लाख रुपए का आर्थिक दण्ड लगाया गया है।

नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम के निर्देश पर इन दिनों प्राधिकरण के विभिन्न विभागों के अधिकारी शहर में भ्रमण कर नियमों का पालन कराने में लगे हुए हैं। इसी क्रम में मंगलवार को नोएडा प्राधिकरण के जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा को एसटीपी प्लांट संचालित न करने, एमएसडब्ल्यू नियम 2016 का अनुपालन न करने, वेस्ट सेग्रिगेट न करने, गार्बेज बाहर सड़क पर फैलाने वाले विभिन्न व्यवसायिक स्थलों एवं रेस्टोरेंट का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान नियमांे का उल्लंघन करने वाले तीन संस्थानांे पर कार्यवाही कर चालान किये गये।

महाप्रबन्धक (जन स्वास्थ्य) एसपी सिंह ने बताया कि निरीक्षण के दौरान एमएसडब्ल्यू नियम 2016 का उल्लंघन करते पाये जाने पर आज सेक्टर-96 स्थित स्काईमार्क वन पर 5 लाख रुपए का आर्थिक दण्ड लगाया गया। इसी प्रकार सेक्टर-104 स्थित कैफे दिल्ली हाइट्स और थियोस फूड प्रा. लिमिटेड पर एक-एक लाख रुपए का आर्थिक दण्ड अधिरोपित किया गया। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान जन स्वास्थ्य विभाग-प्रथम एवं एनजीओ टीम
द्वारा सभी रेस्टोरेन्ट एवं होटल्स को जो अपने परिसर में गीले कूड़े का निस्तारण नहीं कर रहे हैं उनको अंतिम चेतावनी देते हुए कूड़े का निस्तारण करने की व्यवस्था करने के निए 7 दिनों का समय देते हुए कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये। उन्होंने बताया कि 7 दिनों के पश्चात ऐसे बल्क जनरेटर्स जो अपने कूड़े का निस्तारण अपने परिसर मंे नहीं करते  है तो डोर टू डोर एजेन्सी द्वारा ऐसे बल्क जनरेटर्स से कूड़ा उठाना बन्द कर दिया जायेगा तथा ऐसे सभी बल्क वेस्ट जनरेटर्स की जांच करते हुए स्पाॅट फाईन लगाकर आर्थिक दण्ड वसूलने की कार्यवाही की जायेगी।

बता दें कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एमएसडब्ल्यू) नियम-2016 के तहत, अपशिष्ट उत्पादकों को कचरे के प्रबंधन के लिए कचरे को तीन श्रेणियों में बांटकर अलग-अलग रखना होता है। जिसमें गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा, बायोडिग्रेडेबल कचरा और घरेलू खतरनाक कचरे को अलग-अलग डिब्बों में रखना होता है। अलग किए गए कचरे को अधिकृत कचरा संग्रहकर्ताओं या कचरा बीनने वालों को सौंपना होता है।

वहीं सैनिटरी अपशिष्ट को सुरक्षित रूप से लपेटकर, गैर-बायोडिग्रेडेबल या सूखे कचरे के डिब्बे में रखना होता है। इसके अलावा विध्वंस, निर्माण, बागवानी, और उद्यान से निकलने वाले कचरे को भी अलग-अलग रखना होता है। ऐसा न करने पर संबंधित विभागों द्वारा आर्थिक दण्ड लगाया जाता है।

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