सतना। रेलवे की सेफ्टी ऑडिट टीम के निरीक्षण के दौरान गुरुवार दोपहर ट्रेन की चपेट में आने से लोको इंस्पेक्टर की मौत हो गई। इसके बाद शाम चार बजे सतना स्टेशन पर हंगामा हो गया और रेलकर्मी पटरी पर उतर आए। उन्होंने सेफ्टी ऑडिट स्पेशल ट्रेन परख और उस पर सवार अधिकारियों को रोक लिया। कामायनी एक्सप्रेस को भी 30 मिनट रोककर हंगामा किया। अन्य ट्रेनों के लोको पायलटों को भी इंजन से उतारने का प्रयास किया। हालात संभालने के लिए जिला पुलिस बल को भी स्टेशन पहुंचना पड़ा। रात आठ बजे तक हंगामा चला।
दरअसल, रेलवे की सेफ्टी ऑडिट टीम गुरुवार को निरीक्षण करने के लिए स्पेशल ट्रेन पर सवार होकर सतना पहुंची थी। सतना से इस ट्रेन पर लोको इंस्पेक्टर जितेंद्र नाथ शुक्ला भी टीम के साथ सवार हुए थे। सेफ्टी ऑडिट टीम को मझगवां, टिकरिया होते हुए मानिकपुर तक जाना था। टीम मझगवां स्टेशन पहुंची तो लोको पायलट जितेंद्र नाथ ट्रैक चेक करने के लिए नीचे उतरे। वे इंस्पेक्शन कर वापस जा ही रहे थे कि लूप लाइन पर तेज रफ्तार से दौड़ती आई गोंदिया बरौनी एक्सप्रेस ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। लोको पायलट टकराकर प्लेटफॉर्म नंबर एक पर जा गिरे और उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
लोको इंस्पेक्टर की मौत से बेखबर सेफ्टी ऑडिट टीम के अफसर जब टिकरिया स्टेशन पहुंचे तो लोको इंस्पेक्टर की तलाश की गई, लेकिन वे कहीं नजर नहीं आए। उनका फोन भी बंद आने लगा। इसी बीच खबर मिली कि मझगवां स्टेशन में लोको इंस्पेक्टर की ट्रेन की टक्कर से मौत हो गई है। टीम वहां से वापस सतना लौट आई और घटना की जानकारी रेल अफसरों को दी।
इंस्पेक्शन के दौरान लोको इंस्पेक्टर की मौत की खबर मिलते ही सतना में रेल कर्मियों का गुस्सा भड़क उठा। लोको पायलटों समेत तमाम रेल कर्मी स्टेशन पर आ जमे और उन्होंने इंस्पेक्शन स्पेशल ट्रेन को घेर लिया। रेलकर्मी ट्रैक पर खड़े हो गए और उन्होंने कामायनी एक्सप्रेस को भी रोक लिया। मौके पर आरपीएफ – जीआरपी के जवान भी पहुंचे लेकिन वे बेबस नजर आए।
सतना रेलवे स्टेशन पर ट्रैक से लेकर प्लेटफॉर्म तक हर जगह सिर्फ रेलकर्मी ही नजर आए। उन्होंने सेफ्टी टीम के अधिकारियों को न तो गाड़ी से नीचे उतरने दिया और न ही स्पेशल ट्रेन को आगे बढ़ने दिया। आरपीएफ – जीआरपी के जवान भीड़ को रोकने और टीम को सुरक्षा देने की कोशिश कर रहे थे लेकिन प्रदर्शनकारियों के मुकाबले पुलिस बल बेहद कम होने से बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।
सेफ्टी अफसर ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए समझाइश देने की कोशिश की लेकिन कोई कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। प्रदर्शनकारी रेलकर्मी लोको पायलट जितेंद्र नाथ की मौत के लिए सेफ्टी ऑडिट टीम को दोषी ठहरा रहे थे और उन पर कार्रवाई की मांग पर अड़ कर लगातार नारेबाजी कर रहे थे।
सतना रेलवे स्टेशन में हंगामा होने और हालात बिगड़ने की खबर मिलने पर सीएसपी महेंद्र सिंह सिटी कोतवाली, सिविल लाइन और कोलगवां पुलिस की टीम के साथ स्टेशन पहुंचे। पुलिस ने ट्रेन में फंसे अफसरों को नीचे उतरवाया और स्थिति पर नियंत्रण के प्रयास शुरू किए। दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर कामायनी एक्सप्रेस आई। हंगामा कर रहे लोगों ने इसे 30 मिनट तक रोके रखा। उन्होंने कामायनी के ड्राइवर को भी हादसे की जानकारी दी और नीचे उतरने का आग्रह किया। हालांकि बाद में ट्रेन रवाना कर दी गई। इस सब के बीच रेल यात्रियों को भी असुविधा का सामना करना पड़ा।
प्रदर्शन कर रहे रेलकर्मियों ने रात 8 बजे तक इंस्पेक्शन स्पेशल ट्रेन को भी सतना से आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की। ट्रेन और अधिकारियों को जबलपुर रवाना किया जाना था, लेकिन रेल कर्मी ट्रैक पर आकर ट्रेन के सामने खड़े हो गए। सीएसपी महेंद्र सिंह ने आरपीएफ – जीआरपी और जिला पुलिस बल की टीम के साथ उन्हें खदेड़ा और ट्रेन को जबलपुर रवाना किया।
नाराज रेल कर्मी लोको इंस्पेक्टर की मौत के लिए सेफ्टी ऑडिट टीम को ही जिम्मेदार ठहरा रहे थे। उनका कहना था कि इंस्पेक्शन के कारण रेल कर्मियों के ऊपर इतना दबाव होता है कि उन्हें खुद अपनी भी खबर नहीं रहती। नतीजतन ऐसे हादसे होते हैं।
मझगवां स्टेशन पर लोको इंस्पेक्टर की मौत की खबर मिलने के बाद भी सेफ्टी ऑडिट टीम और वरिष्ठ विद्युत अभियंता अक्षय कुमरावत मझगवां में रुके बगैर सतना वापस आ गए जबकि लोको इंस्पेक्टर की लाश वहीं पड़ी रही। ये लापरवाही और गैर जिम्मेदारी का उदाहरण है। रेल कर्मी टीम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग पर अड़े थे। हालांकि सीएसपी ने उन्हें जांच और कार्रवाई का भरोसा दिलाया, तब जाकर मामला शांत हुआ।