कानपुर-2047 तक ‘विकसित भारत’ की कल्पना को साकार करने के लिये तकनीकी आत्मनिर्भरता की जरुरत पर जोर देते हुये रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उम्मीद जतायी कि 2029-30 तक रक्षा निर्यात 50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के 65वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुये श्री सिंह ने शनिवार को कहा “ आज के तकनीक-संचालित परिवर्तन के युग में, भारत अभूतपूर्व नवाचार के मार्ग पर अग्रसर है, जिसमें आई आई टी कानपुर जैसे संस्थान हमें आगे बढ़ा रहे हैं।”
उन्होने कहा “ जैसा कि हम 2047 तक ‘विकसित भारत’ की कल्पना करते हैं, मैं अपने युवाओं से आग्रह करता हूँ कि वे भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की यात्रा का नेतृत्व करें, खासकर रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में। विचार से लेकर उत्पादन तक, नए विचारों को पोषित करने और उन्हें मूर्त रूप देने में आई आई टी कानपुर की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। शिक्षा, उद्योग और सरकार को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी में दुनिया के लीडरों के बीच अपना स्थान सुरक्षित करे।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि आधुनिक रक्षा में प्रौद्योगिकी आवश्यक है, जिसमें ड्रोन और साइबर युद्ध जैसे नवाचार युद्ध को नया रूप दे रहे हैं। उन्होने कहा ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने के लिए, हमें आयात पर निर्भरता कम करनी चाहिए और अत्याधुनिक घरेलू नवाचारों को प्राथमिकता देनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि प्रगति जारी रहेगी और 2029-30 तक रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुँच जाएगा।”
युवाओ का आवाहन करते हुये उन्होने कहा कि भारत ने अपने युवाओं के बल पर 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का सपना देखा है और हमें उस सपने को साकार करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देनी चाहिए। जैसा कि कहावत है, ‘अगर आप तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं, तो अकेले चलें। अगर आप दूर जाना चाहते हैं, तो साथ चलें।’
इस अवसर पर श्री सिंह ने आईआईटी कानपुर में स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) द्वारा आयोजित रक्षा अनुसंधान, उत्पाद और इनक्यूबेशन शोकेस का दौरा किया। इस शोकेस में 23 एसआईआईसी-इनक्यूबेटेड स्टार्टअप्स के अग्रणी समाधानों को प्रदर्शित किया गया, जिसमें ऑटोनॉमस सिस्टम्स, एआई- ड्रिवेन सर्वेलन्स और नेक्स्ट-जनरेशन कम्युनिकेशन टूल्स जैसी रक्षा प्रौद्योगिकी में प्रगति प्रस्तुत की गई। श्री राजनाथ सिंह ने प्रदर्शनी स्टालों पर संस्थापकों और शोध टीमों के साथ बातचीत की और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने में उनके योगदान की सराहना की।
आईआईटी कानपुर में एसआईआईसी के प्रभारी प्रोफेसर दीपू फिलिप ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एसआईआईसी के स्टार्टअप ऐसे समाधान विकसित कर रहे हैं जो प्रौद्योगिकी और अनुसंधान में नए मानक स्थापित करते हुए राष्ट्रीय रक्षा जरूरतों को पूरा करते हैं।
संस्थान के निदेशक मणींद्र अग्रवाल ने परिवर्तनकारी अनुसंधान और सहयोग के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने, उत्कृष्टता और सामाजिक प्रभाव के लिए नए मानक स्थापित करने के लिए आईआईटी कानपुर की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
उन्होने कहा “ रक्षा नवाचार कार्यक्रम एसआईआईसी में हमारे स्टार्टअप के अग्रणी काम और तकनीकी नवाचार को आगे बढ़ाने और रक्षा में आत्मनिर्भरता का समर्थन करने की हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।”