परमपिता परमात्मा के स्मरण से सभी कष्टों और समस्याओं का निदान सम्भव है यह औषधि के समान है। सच्चे मन से पवित्र हृदय से प्रभु से की गई प्रार्थना व्यर्थ नहीं हो सकती। संसार में आज तक जितने भी भक्त हुए हैं उनका यही अनुभव है कि परमात्मा का स्मरण समस्त विकारों का हरण करने में सक्षम है, इसलिए साधारण से साधारण व्यक्ति भी इसी युक्ति से अपने जीवन का उद्धार कर सकता है। प्रभु स्मरण द्वारा परम पद भी प्राप्त किया जा सकता है।
इसमें किंचित भी संदेह नहीं। यह मोक्ष का द्वार है और इस लौकिक युक में तपश्चर्या की भांति सुगम मार्ग का दर्शन नहीं भी है। प्रभु का निरन्तर स्मरण कोई कठिन विषय नहीं है। इस लोक में अन्य विषयों के साथ ही भगवान का स्मरण करते रहने में कोई व्यवधान भी नहीं है। आप सांसारिक कार्यों को करते समय भी उस प्रभु को स्मरण करते रहे। इससे कार्य की सफलता में भी कोई संदेह नहीं रहेगा।
पृथ्वी पर जन्म लेने के बाद इस परम उद्देश्य को धारण करना मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है। अपने कर्तव्य से विमुख होकर मानव अंधकार में भटकता है और लाखों योनियों में चक्कर लगाता रहता है। इसलिए सभी भक्त जन को चाहिए कि वे अपने इस कर्तव्य पथ पर सदैव आरूढ रहे, जिससे विभिन्न योनियों में भ्रमण से छुटकारा मिल सके और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त हो सके।