अजमेर। राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह में हिंदू शिव मंदिर होने के दावे के मामले में शुक्रवार को स्थानीय अदालत में सुनवाई होगी। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा, “हम कल कोर्ट में होने वाली सुनवाई में अपना पक्ष रखेंगे और दरगाह कमेटी, केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय और पुरातत्व विभाग द्वारा पेश किए गए जवाबों का तथ्यों के आधार पर जवाब देंगे। साथ ही कोर्ट से दरगाह का सर्वेक्षण करवाने का अनुरोध करेंगे।” उन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह पर वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता। अगर प्रतिवादी कोर्ट में 1991 के वर्शिप एक्ट का हवाला देते हैं तो वह कानून के आधार पर कोर्ट को समझाएंगे।
दरगाह में मंदिर होने के दावे को लेकर वह पहले ही कोर्ट में अहम दस्तावेज पेश कर चुके हैं और वह न्यायालय से कल होने वाली सुनवाई में सर्वे की मांग रखेंगे। अदालत अगर हम लोगों से सबूत मांगती है तो हम सबूत देंगे। उल्लेखनीय है कि 27 नवंबर को अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा किया गया था। इस संबंध में अजमेर सिविल कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली थी। इस याचिका के आधार पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए 20 दिसंबर का समय दिया था। कोर्ट ने इस मामले में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी और एएसआई को नोटिस भेजा था।
बता दें कि दरगाह में सर्वे को लेकर हिन्दू पक्ष का मानना है कि कानून की निगरानी में सर्वे होना चाहिए। वहीं, मुस्लिम पक्ष इसके खिलाफ है। हिन्दू पक्ष का कहना है कि अगर अदालत फैसला देती है तो सर्वे होना चाहिए। किसी को इससे परेशानी नहीं होनी चाहिए। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि अजमेर की दरगाह से हिन्दुओं की आस्था भी है। हर साल यहां पर पीएम मोदी चादर भेंट करते हैं। मुसलमानों से ज्यादा यहां पर हिन्दू आते हैं। लेकिन, इस तरह से अगर सर्वे होने लगेगा तो कल यह दिल्ली की जामा मस्जिद में सर्वे की मांग करेंगे कल किसी और दरगाह पर करेंगे। यह हिन्दू और मुसलमानों के आपसी भाईचारे को कमजोर करेगा।