शामली। मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी के जंगलराज को खत्म कर सुशासन लागू किया है। अब अपराधी कानून व्यवस्था के आगे घुटने टेक रहे हैं, लेकिन उन अधिकारियों का क्या, जो नियम-कायदे और कानून का पालन कराने के नाम पर खुद कानूनों को तोड़ने और अपराध करने के लिए लोगों को मजबूर करते हैं, ताकि उन्हें सैलरी से भी अधिक मुनाफा हासिल हो सके।
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शामली जिले में करीब 3 साल पहले अपनी पहली पोस्टिंग पाकर कैरियर की शुरूआत करने वाली औषधि निरीक्षक निधि पांडेय की ऐसी ही कुछ वीडियो सामने आई हैं। धमाकेदार और बेखौफ अंदाज में दुकानों का निरीक्षण करने वाली यह महिला अधिकारी वीडियो में अपने औहदे का रौब गालिब कर अपनी मर्जी से बगैर मानकों की दुकानों को चलवाने का दम भर रही है, वहीं रौबीले अंदाज में उनके द्वारा डिमांड भी की जाती है।
निधि पांडेय के खिलाफ जनपद के दवा विक्रेताओं द्वारा पूर्व में भी निरीक्षण के दौरान दुकान के गल्ले पर बैठने, सीसीटीवी कैमरे बंद करवाने, फोन कब्जे में लेने और प्लेन पेपर पर साइन कराने की शिकायतें अधिकारियों तक पहुंच चुकी है। उनके खिलाफ दवाई विक्रेता संगठनों द्वारा दुकानें बंद करवाते हुए धरने प्रदर्शन भी किए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही हुई है।
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सामने आई वीडियो में वें कथित तौर पर एक ऐसी दुकान का निरीक्षण कर रही है, जिसका लाइसेंस नही है। इसके बावजूद भी दुकान खुली है। वीडियो में यह भी कहते सुना जा रहा है कि मैडिकल पर नार्कोटिक्स संबंधित दवाईयां भी बेची जा रही है। मानकों के हिसाब से ऐसी दुकान का निरीक्षण नही हो सकता और ऐसी दुकान को फौरन सीज कर संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन शामली जिले में ऐसा नही हो रहा है।
मैं खुद चाहती हूं कि चले तेरी दुकान.
वीडियो में निधि पांडेय दुकान संचालक को हड़काते हुए कह रही है कि वें बनिया नही है, इसलिए मेरे साथ बनियागिरी मत कर। वें किसी व्यक्ति का नाम लेकर कह रही है कि जितने उसे दिए हैं, उतने ही कर दे और यें भी कहती है कि वें खुद चाहती है कि तेरी दुकान चले। वीडियो में पांडेय दुकान पर मानकों का उल्लंघन होने का भी दावा कर रही हैं। वीडियो में औषधि निरीक्षण विक्रेता का मोबाइल फोन कब्जे में लेकर प्लेन पेपर पर भी साइन कराने के लिए बोल रही हैं। औषधि निरीक्षक जिस मैडिकल स्टोर का निरीक्षण कर रही है, वह शामली के मोहल्ला कलंदशाह में स्थित हैं। वीडियो पिछले साल 16 जून का बताया जा रहा है।
कैसे चल रहा भ्रष्टाचार का खेल
दवाई विक्रेता दुकानों की शर्तों पर अगर नजर डाले दो दुकान 110 फीट में होनी चाहिए, जिसपर फार्मासिस्ट, फ्रिज की उपस्थिति अनिवार्य है और संचालक हाईस्कूल पास होना जरूरी है। इसके अलावा लाइसेंस के लिए संबंधित पोर्टल पर आवेदन करना होता है, जिसके बाद संबंधित औषधि निरीक्षक दुकान का सर्वे करते हैं और नियमानुसार सभी कुछ ठीक होने पर 3 हजार की लाइसेंस फीस के साथ ही लाइसेंस जारी किया जाता है, लेकिन कथित तौर पर शामली में सरकारी फीस के अलावा सर्वे के नाम पर 25 हजार और लाइसेंस जारी होने के बाद निरीक्षण के नाम पर 50 हजार वसूले जाते हैं। इतना ही नही यदि दुकान पर नार्कोटिक्स या प्रतिबंधित दवाईयां पकड़ी जाती है, तो सौदेबाजी की रकम लाखों में भी पहुंच जाती है।
बड़ी संख्या में चल रही प्रतिबंधित दुकानें
एक अनुमान के हिसाब से शामली जिले में करीब 1400 कैमिस्ट लाइसेंस धारक हैं, जिनमें से करीब 100 कैमिस्ट के पास गोदाम का भी लाइसेंस हैं। इनके अलावा करीब 700 दुकानें ऐसी हैं, जो बगैर लाइसेंस और मानकों का उल्लंघन कर संचालित हो रही हैं। शामली जनपद में आलाकमान द्वारा तेज तर्रार और भ्रष्टाचार मुक्त आलाधिकारियों की नियुक्ति सुनिश्चित की गई हैं। डीएम समेत कई अधिकारी ऐसे हैं कि भ्रष्टाचारी उनके नाम से ही खौफ खाते हैं, लेकिन चंद अधिकारियों के रूप में फैली भ्रष्टाचार की दीमक जनता की जान से खिलवाड़ कर रही है।
बाहर की टीमें करती हैं कार्रवाई…
शामली में पिछले करीब 1 वर्ष में अन्य राज्यों व जनपदों की नार्कोटिक्स टीमें करीब 10 व्यापारियों को जेल भेज चुकी हैं, लेकिन जनपद में ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई के बजाय उनसे पैसे लेकर दुकानों को चलवाया जा रहा है, जिले में प्रतिबंधित दवाईयों की फैक्ट्रियां भी पकड़ी जा चुकी है, लेकिन यहां संबंधित विभाग जालसाजों को व्यापार बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।