मुजफ्फरनगर। किसान मसीहा और भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की विरासत को सहेजने में हो रही उपेक्षा का उदाहरण बुढ़ाना के परसोली गांव में देखने को मिलता है। यहां 20 वर्षों से चौधरी साहब की मूर्ति पन्नी में लिपटी हुई है। यह दृश्य उन संगठनों और राजनेताओं के लिए एक सवाल है, जो चौधरी चरण सिंह के नाम का इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन उनकी स्मृतियों और योगदान को संरक्षित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाते।
मुज़फ्फरनगर में क्रिकेट पर खेला जा रहा था सट्टा, 2 गिरफ्तार, मौके से मोबाइल फोन, उपकरण, नकदी बरामद
किसान नेता अंकित बालियान ने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने अपने जीवनकाल में किसानों के लिए अद्वितीय कार्य किए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री, उपप्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने किसानों, गरीबों और ग्रामीण भारत के उत्थान के लिए अनेक योजनाओं और नीतियों की शुरुआत की। उन्होंने अपने कार्यकाल में जमींदारी प्रथा समाप्त की, किसानों को भूमि का मालिकाना अधिकार दिलाया, चकबंदी कानून लागू कराया और नहरों की पटरियों पर सड़क निर्माण का कार्य करवाया।
मुज़फ्फरनगर में अन्तर्जनपदीय तेल चोर गिरोह के 5 बदमाश गिरफ्तार, तमंचे, कारतूस, केंटर बरामद
किसान नेता ने कहा कि उनकी दूरदर्शिता ने किसानों को सशक्त करने और ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का रास्ता दिखाया। उन्होंने सहकारी खेती के प्रावधान को रुकवाया, जिससे किसानों की स्वतंत्रता और अधिकार सुरक्षित रहे।
मुज़फ्फरनगर में 10 हज़ार के इनामी को पुलिस ने दबोचा,अपहरण के मामले में चल रहा था फरार
उन्होंने बताया कि बुढ़ाना के परासौली गांव में स्थापित चौधरी चरण सिंह की मूर्ति पिछले 20 वर्षों से पन्नी में लिपटी हुई है। यह मूर्ति चौधरी साहब की स्मृति और उनके योगदान का प्रतीक होनी चाहिए, लेकिन उचित देखभाल और संरक्षण के अभाव में यह उपेक्षा का शिकार है। उन्होंने बताया कि स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि चौधरी साहब ने अपने जीवन में किसानों और गरीबों के लिए जो कार्य किए, वे आज भी उनकी स्मृतियों में जीवित हैं। लेकिन उनकी मूर्ति की दशा देखकर वे आहत हैं।
उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह के नाम पर राजनीति करने वाले दल, किसान संगठन और सामाजिक संगठनों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे उनकी विरासत को संरक्षित करें। मूर्ति की वर्तमान स्थिति उन सबके लिए एक दर्पण है, जो उनके नाम का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उनके विचारों और योगदान को सहेजने के लिए कुछ नहीं करते। स्थानीय प्रशासन और संबंधित संगठनों को चौधरी चरण सिंह की मूर्ति को संरक्षित करने और उसे उचित सम्मान दिलाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। यह मूर्ति केवल एक धातु का टुकड़ा नहीं, बल्कि चौधरी साहब के जीवन, संघर्ष और सिद्धांतों की पहचान है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मूर्ति से पन्नी नहीं हटाई गई तो 23 जनवरी को हज़ारों किसान खुद उनकी प्रतिमा का लोकार्पण कर देंगे।