आज स्वामी विवेकानन्द की जन्म जयंती है। इस दिवस पर उनके द्वारा किये गये देश और धर्म के लिए अच्छे कार्यों को स्मरण किया जाये। उन्होंने सम्भ्रान्त देशवासियों, युवकों और सन्यासियों से कहा ”देखो ये भारतीय असहाय, असमर्थ, निरक्षरजन कितने सरल हृदय हैं, क्या तुम उनके कष्टों को कुछ भी कम न कर सकोगे? तुम अपने जीवन को दरिद्र नारायण को अर्पित कर दो।
हमारे देशवासी जब रोटी-कपड़े को तरस रहे हैं, तब क्या हम अपने मुख में ग्रास लेते लज्जित नहीं होते? गांव-गांव में घूमकर असमर्थ, असहायों और दलितों की सेवा में जीवन अर्पित कर दो, अपने चरित्रबल से आध्यात्मिक शक्ति से पवित्र जीवन से सम्पन्न महानुभावों को समाज के प्रति उनके कर्तव्यों का बोध कराओ। धन तथा साधन संग्रह को जिससे दीन-दुखियों की सेवा हो सके, उन्हें शिक्षित किया जा सके और उनकी दरिद्रता दूर हो सके, क्योंकि शिक्षित और ज्ञानवान होने पर व्यक्ति अपनी प्रगति का मार्ग स्वयं खोज लेगा।”
यदि सक्षमजन स्वामी जी के निवेदन को आन्दोलन का रूप दे देते तो भारत की सामाजिक, आर्थिक प्रगति में चमत्कारिक परिवर्तन आ सकता था, किन्तु हमारा दुर्भाग्य कि स्वामी जी अल्पायु में ही मोक्ष को प्राप्त हो गये।