नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि बुधवार को नौसेना में दो नौसैनिक लड़ाकू जहाज और एक पनडुब्बी के शामिल होने से रक्षा क्षेत्र में अग्रणी बनने की हमारी कोशिशों और आत्मनिर्भरता के हमारे प्रयासों को बल मिलेगा। पीएम मोदी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “बुधवार 15 जनवरी को हमारी नौसेना क्षमताओं के लिए एक विशेष दिन होने जा रहा है। तीन अग्रणी नौसैनिक लड़ाकू जहाजों के शामिल होने से रक्षा में वैश्विक नेता बनने की हमारी कोशिशों को बल मिलेगा और आत्मनिर्भरता की हमारी तलाश को बल मिलेगा।
“प्रधानमंत्री ने भारतीय नौसेना के प्रवक्ता के एक्स हैंडल पर किए गए पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए ये बातें कहीं। नौसेना के प्रवक्ता के पोस्ट में कहा गया है, “15 जनवरी 2025, एक ऐतिहासिक अवसर – सूरत, नीलगिरि और वाघशीर की कमीशनिंग। इस ऐतिहासिक समारोह की अध्यक्षता माननीय प्रधानमंत्री करेंगे।” बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में दो नौसैनिक युद्धपोत और एक पनडुब्बी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। युद्धपोत आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरि तथा पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर है। इसके बाद वह नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन परियोजना के श्री श्री राधा मदनमोहनजी मंदिर का उद्घाटन भी करेंगे। आईएनएस सूरत, पी15बी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर परियोजना का चौथा और अंतिम युद्धपोत है। यह दुनिया के सबसे बड़े और सबसे उन्नत विध्वंसकों में से एक है।
इस जहाज में 75 फीसदी स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। यह अत्याधुनिक हथियार-सेंसर पैकेज और नेटवर्क-केंद्रित क्षमताओं से लैस है। इस युद्धपोत का शामिल होना भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। आईएनएस नीलगिरि पी17ए स्टील्थ फ्रिगेट परियोजना का पहला जहाज है। इसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है। यह जहाज स्टील्थ तकनीक से लैस है और समुद्र में लंबे समय तक ऑपरेशन करने की क्षमता रखता है। इसके साथ ही, यह अगली पीढ़ी के स्वदेशी फ्रिगेट का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो देश की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगा। आईएनएस वाघशीर पी75 स्कॉर्पियन परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी है। यह पनडुब्बी निर्माण में देश की बढ़ती विशेषज्ञता का प्रतीक है। इसका निर्माण फ्रांस के नौसेना समूह के सहयोग से किया गया है। इसके नौसेना में शामिल होने से देश की पनडुब्बी क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। यह देश को और अधिक आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।