खतौली। नगर पालिका परिषद खतौली अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने की घोषणा सामान्य वर्ग के चुनाव लडने के इच्छुक प्रत्याशियों के ऊपर वज्रपात साबित हुई है। शासन से नगर निकाय चुनाव की आरक्षण सूची जारी होते ही सामान्य वर्ग के भावी प्रत्याशियों के चेहरे लटक गए।
खतौली पालिका अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने का सबसे बड़ा नुकसान पूर्व चेयरमैन पारस जैन और निवर्तमान चेयरमैन पुत्र सपा नेता काज़ी नबील अहमद को हुआ है। खतौली पालिका अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होते ही पिछड़ा समाज से ताल्लुक रखने वाले बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक वर्ग के चुनाव लडने के इच्छुक प्रत्याशियों की बाढ-सी आ गई है।
भाजपा नेता राजा बाल्मीकि हत्याकांड का दुमछल्ला पीछे लगा होने के बावजूद पूर्व चेयरमैन पारस जैन बीते पांच सालों से भाजपा के सिंबल पर चुनाव लडने की तैयारी कर रहे थे। पारस जैन के आभा मंडल और इनके चुनाव लडने के तौर तरीकों के चलते बहुसंख्यक समाज से कोई दूसरा चुनाव मैदान में आने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था। लेकिन शासन से खतौली पालिका परिषद सीट ओबीसी के लिए आरक्षित होने की घोषणा होते ही ओबीसी समाज से संबंध रखने वाले कई नेता कलफ लगा कुर्ता पहनकर मैदान में आ गए है।
नगर निकाय चुनाव होने की घोषणा होते ही भाजपा का सिंबल लेने के लिए ओबीसी समाज के कई नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। चर्चा है कि भाजपा नेता उमेश केबल, राकेश प्रजापति, अनुज सहरावत, नरेश पांचाल, आदेश मोतला, संजय भुर्जी ने पार्टी सिंबल झटकने के लिए अपनी भागदौड़ शुरू कर दी है।
दूसरी ओर खतौली पालिका परिषद अध्यक्ष पद ओबीसी के लिए आरक्षित होने का सबसे बड़ा नुकसान निवर्तमान चेयरमैन पुत्र काज़ी नबील अहमद को पहुंचा है। माता बिलकीस के चेयरमैन बनते ही पिता काज़ी जमील अहमद का अचानक निधन हो जाने के बाद अपने परिवार की सियासी विरासत काज़ी नबील अहमद ने ही संभाल कर चुनाव लडने की तैयारी शुरू कर दी थी।
पालिकाध्यक्ष पद का चुनाव लडने की तैयारी किए जाने के दौरान काज़ी नबील अहमद ने सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव और रालोद सुप्रीमो चौधरी जयंत सिंह से नजदीकियां बढ़ा ली थी। खतौली पालिका अध्यक्ष पद ओबीसी के लिए आरक्षित होने की घोषणा ने काज़ी नबील की चेयरमैन बनने की महत्वाकांक्षा पर फिलहाल ब्रेक लगा दिया है।
चर्चा है कि सपा रालोद गठंबधन से चुनाव लडने के लिए रालोद नेता धर्मेंद्र तोमर ने मैदान में आकर ताल ठोक दी है। धर्मेंद्र तोमर के अनुसार वो रालोद के कर्मठ सिपाही है। पार्टी सिंबल पर चुनाव लडने का मौका मिला तो, आला कमान की उपेक्षाओं पर खरा उतर कर दिखाएंगे। दूसरी ओर सपा के सिंबल पर चुनाव लडने वाले ओबीसी नेताओं की भी लम्बी लिस्ट है। जिनमे हाजी जावेद आढ़ती, इमरान सिद्दीकी, हाजी इकबाल के नाम प्रमुख रूप से शामिल है।
इसी बीच सामान्य वर्ग के कुछ प्रत्यशियों को अभी भी यह उम्मीद है कि 6 अप्रैल तक जब तक इस आरक्षण पर आपत्ति दाखिल करने का समय है तब तक उन्हें उम्मीद है कि आरक्षण बदल कर सामान्य हो जायेगा, इसी से वे अभी तक पूरी तरह नाउम्मीद नहीं है।