हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन वर्ष का अंतिम महीना होता है, जो माघ पूर्णिमा के बाद शुरू होकर चैत्र अमावस्या तक चलता है। यह महीना बसंत ऋतु का प्रतीक है और इसे नई ऊर्जा, प्रेम और भक्ति का समय माना जाता है। धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से फाल्गुन अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान महाशिवरात्रि और होली जैसे प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं।
फाल्गुन मास का धार्मिक महत्व
फाल्गुन मास में भगवान शिव और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा का विधान है। इस महीने में महाशिवरात्रि आती है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का उत्सव है। इसके अलावा, होली का त्योहार भी इसी महीने में आता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
फाल्गुन मास और प्रकृति का सौंदर्य
इस महीने में पेड़-पौधों में नई कोंपलें फूटती हैं और वातावरण रंग-बिरंगा हो जाता है। सर्दी विदा लेने लगती है और धीरे-धीरे गर्मी का प्रभाव बढ़ने लगता है, जिससे प्रकृति में एक नई ऊर्जा का संचार होता है।
सामाजिक और आध्यात्मिक पहलू
फाल्गुन का महीना मेल-जोल और खुशियों का महीना होता है। होली के अवसर पर लोग पुराने मतभेद भूलकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और प्रेम व सौहार्द का संदेश देते हैं। इस माह में भगवान शिव और श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष महत्व होता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
फाल्गुन मास सिर्फ एक महीना नहीं, बल्कि नई ऊर्जा, प्रेम, भक्ति और खुशियों से भरा एक विशेष काल है। यह हमें प्रकृति के बदलाव से जुड़ने, धार्मिक अनुष्ठानों से आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने और सामाजिक समरसता को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।