Monday, March 17, 2025

अनमोल वचन

शरीर का प्रत्येक अंग शिथिल हो गया है, निस्तेज हो गया है, सिर के बाल सफेद हो गये हैं, मुख दांतविहीन हो गया है, जब बुढापे का सहारा एक डंडा रह जाता है, तब भी शरीर के प्रति, जीवन के प्रति आशा बनी रहती है। महान आश्चर्य तो यह है कि प्रतिदिन शमशान की ओर मनुष्यों को जाते देखकर भी हम सोचते हैं कि हमें यहीं रहना है। मृत्यु के शाश्वत सत्य को स्मरण रखे तो कदाचित पापों से बचे रहे। इस संसार में दूसरे को निरन्तर प्रसन्न करने के लिए प्रिय बोले वाले प्रशंसक लोग बहुत होते हैं, परन्तु सुनने में अप्रिय लगे, किन्तु वह कल्याण करने वाला बचन हो, ऐसा कहने और सुनने वाले पुरूष दुर्लभ हैं। सत्यपुरूषों को योग्य है कि मुख के सामने दूसरे का दोष कहना और अपना दोष सुनना पीछे (अनुपस्थिति में) दूसरों के गुण कहना। इसके विपरीत दुष्टों की यह रीति है कि सामने गुण कहना और बाद में दोषों का बखान करना। स्मरणीय है कि जब तक मनुष्य दूसरे से अपने दोष नहीं कहता, तब तक मनुष्य दोषों से छुटकर सद्गुणी नहीं हो सकता। वस्तुएं चाहे कम हो, परन्तु जो उपयोग में आये वही अच्छी है। व्यक्ति एक मकान के रह रहा है, चार और खरीद कर छोड़ देता है, किसके लिए? जितना चाहिए, जितने का उपयोग किया जा सकता है, उतने लाभ की वस्तु कमाने, संग्रह करने में कुछ बुराई नहीं, परन्तु अनावश्यक जमाखोरी करना तो सामाजिक पाप है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय