मेरठ। फसल अवशेष जलाना कानूनी अपराध है। पराली व फसल अवशेष जलाने पर जुर्माने का प्रावधान है। फसल अवशेष जलाने से प्रदूषण फैलता है। जिसका कृषि उत्पादन के साथ-साथ मानव जीवन पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। फसल अवशेषों को जलाने की बजाय उचित प्रबंधन किया जाए तो फसल अवशेषों के माध्यम से मिट्टी को पोषक तत्व वापस मिल जाते हैं। यह जानकारी उप गन्ना आयुक्त राजेश मिश्र ने दी।
कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट का बैंक खाता सीज,-नौ करोड़ से ज्यादा का गृहकर बकाया
राजेश मिश्र ने किसानों को गन्ना किसानों को अपने खेतों में ट्रैश मल्चिंग करके अधिक उपज और आय बढ़ाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि ट्रैश मल्चर के माध्यम से गन्ने की पत्तियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में परिवर्तित किया जाता है। यह यंत्र पेड़ी प्रबंधन के लिए बहुत उपयोगी है। पेड़ी प्रबंधन के अंतर्गत दो पंक्तियों के बीच पत्तियों की मल्चिंग करने से बहुत लाभ होता है। इससे खेत की नमी सुरक्षित रहती है। खरपतवार कम होते हैं। पत्तियों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
लखनऊ का सफर होगा आसान, 13 अप्रैल के बाद एक्सप्रेस-वे पर दौड़ेंगी गाड़ियां
फसल अवशेष जलाने पर प्रति एकड़ 400 किलोग्राम लाभदायक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश एवं सल्फर आदि पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। लाभदायक जीव जैसे राइजोबियम, एजेटोबैक्टर, एजोस्पिरिलम, नील हरित शैवाल एवं पीएसबी जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। किसानों के मित्र कहे जाने वाले कवक, ट्राइकोडर्मा, जैविक कीटनाशक, विबेरिया बेसियाना, बैसिलस थुरिंजिनिसिस एवं केंचुए भी आग से नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने मंडल के सभी जिला गन्ना अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक चीनी मिल क्षेत्र में ट्रैश मल्चर की व्यवस्था चीनी मिल एवं विभाग के सहयोग से की जाए। इसके लिए किसान गोष्ठी, किसान मेले का आयोजन किया जाए।