इस्लामाबाद । पाकिस्तान में सिंधु नदी नहर परियोजना को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। इस विवादास्पद योजना को लेकर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने शहबाज शरीफ सरकार को गठबंधन से अलग होने की धमकी दी है। पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने शुक्रवार देर रात हैदराबाद के हटरी बाईपास मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए यह चेतावनी दी।
बिलावल ने कहा कि अगर संघीय सरकार इस विवादित परियोजना को वापस नहीं लेती है, तो पीपीपी उसके साथ आगे नहीं चल पाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपने ही गठबंधन सहयोगियों की बात नहीं सुन रही है और किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने दावा किया कि यह परियोजना सिंध के जल अधिकारों का हनन है और इससे कृषि क्षेत्र को गहरा नुकसान पहुंचेगा।
बिलावल ने कहा कि शहबाज शरीफ को यह समझना चाहिए कि पीपीपी के समर्थन के बिना न तो संसद चल सकती है और न ही बजट पारित हो सकता है। उन्होंने साफ कहा, “अगर संघीय सरकार झुकी नहीं, तो हम भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।”
पीपीपी की इस चेतावनी से स्पष्ट है कि सिंधु नदी परियोजना पाकिस्तान की शरीफ सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट बनती जा रही है।
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यहीं नहीं, इस परियोजना के खिलाफ सिंध में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक दल, नागरिक संगठन और व्यापार संघ इसे सिंध के अधिकारों का हनन बता रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने ‘पानी को बहने दो’ जैसे नारे लगाकर सरकार से परियोजना रद्द करने की मांग की है।
क्या है सिंधु नदी नहर परियोजना?
पाकिस्तानी सरकार ने ‘ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव’ के तहत 3.3 अरब डॉलर की लागत से छह नई नहरों के निर्माण की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य दक्षिण पंजाब की 12 लाख एकड़ बंजर भूमि को सिंचित करना है। हालांकि, सिंध प्रांत ने इस पर कड़ा विरोध जताया है। सिंध सरकार को आशंका है कि इन नहरों के कारण सिंधु नदी से उसके हिस्से का पानी कम हो जाएगा, जिससे प्रांत में पानी की भारी किल्लत हो सकती है।