नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाषा के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त की है। आयोग ने सलाह दी है कि सभी पार्टियां और उम्मीदवार प्रचार के दौरान सावधानी व संयम बरतें और ऐसी बात न करें जिससे चुनावी माहौल खराब हो।
आयोग का ध्यान हाल ही में स्टार प्रचारकों द्वारा प्रयोग की गई अनुचित शब्दावली और भाषा की ओर दिलाया गया है। आयोग का कहना है कि इससे शिकायतों और क्रॉस शिकायतों का एक दौर चल पड़ा है। इसको ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों को सख्त अनुपालन का परामर्श जारी किया गया है। आयोग ने कहा है कि जनप्रतिनिधि कानून के अंतर्गत ही प्रचार होना चाहिए।
परामर्श में कहा गया है कि सभी पार्टियों और हितधारकों का चुनाव प्रचार आदर्श आचार संहिता और कानूनी ढांचे के दायरे में हो ताकि राजनीतिक संवाद की गरिमा बनी रहे और अभियान का महौल खराब न हो। पार्टी और नेताओं से अपेक्षा है कि ‘मुद्दा’ आधारित बहस करें और उसे बढ़ावा दें।
आयोग ने नोट किया कि आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों के अनुसार भड़काऊ बयानों का उपयोग, शालीनता की सीमा का उल्लंघन करने वाली असंयमित और अपमानजनक भाषा का उपयोग, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के व्यक्तिगत चरित्र एवं आचरण पर हमले से चुनावी महौल खराब हो रहा है। आयोग का कहना है कि आदर्श आचार संहिता का अर्थ केवल प्रत्यक्ष उल्लंघन से बचना नहीं, बल्कि विचारोत्तेजक या अप्रत्यक्ष बयानों या आक्षेपों के माध्यम से चुनावी महौल खराब करने से भी बचना है।
आयोग ने मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस सलाह का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें और इसका अनुपालन न करने पर मौजूदा नियामक और कानूनी ढांचे के अनुसार उचित कार्रवाई करें।