नई दिल्ली। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार 2 से 4 मई 2023 तक सिंगापुर के अधिकारिक यात्रा पर हैं। इस दौरान सिंगापुर के नेवल बेस ‘चांगी’ में प्रथम आसियान भारत समुद्री अभ्यास (एआईएमई) 2023 शुरू हुआ। भारतीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस अभ्यास के समुद्री चरण का आयोजन 7 से 8 मई तक दक्षिण चीन सागर में किया जाएगा। इसमें अन्य आसियान देशों के नौसेना अधिकारी भी भाग ले रहे हैं।
भारतीय नौसेना अध्यक्ष सिंगापुर के रक्षा मंत्री से भी मुलाकात करेंगे और रक्षा बल के प्रमुख (सीडीएफ), सिंगापुर सशस्त्र बल (एसएएफ) नौसेना प्रमुख सिंगापुर गणराज्य नौसेना (आरएसएन), एआईएमई आईएमडीईएक्स और आईएमएससी में भाग लेने वाले अन्य देशों के नौसेना प्रमुखों के प्रतिनिधिमंडल से भी मिलेंगे। नौसेना प्रमुख ‘आसियान-भारत समुद्री संपर्क अवसर’ पर चर्चा करने के लिए सिंगापुर में शिक्षाविदों के साथ भी परिचर्चा करेंगे।
एआईएमई का उद्देश्य समुद्री सहयोग को बढ़ावा देना और आसियान और भारतीय नौसेनाओं के बीच भरोसा, मित्रता और विश्वास को बढ़ावा देना है। 2 से 4 मई 2023 तक सिंगापुर के बंदरगाह चरण में भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच पेशेवर और सामाजिक बातचीत की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है। इसमें क्रॉसडेक विजिट, विषय-विशेषज्ञों की परिचर्चा (एसएमईई) और योजना बैठकें शामिल हैं। 7 से 8 मई 2023 को दक्षिण चीन सागर में निर्धारित समुद्री चरण में भाग लेने वाली नौसेनाओं को समुद्री क्षेत्र में नौसेना संचालन के समन्वयन और निष्पादन में घनिष्ठ संबंध विकसित करने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
भारत द्वारा पहला स्वदेश निर्मित विध्वंसक आईएनएस दिल्ली और आईएनएस सतपुड़ा एक पी8आई समुद्री गश्ती विमान के साथ स्वदेश निर्मित निर्देशित मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट आसियान भारत समुद्री अभ्यास में भाग लेंगे। भाग लेने वाले पोत विशाखापत्तनम स्थित भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े का हिस्सा है और पूर्वी बेड़े के अफसर रियर एडमिरल गुरुचरण सिंह की कमान में काम करते हैं। इस बहु-राष्ट्रीय आयोजनों में भारतीय नौसेना के स्वदेश निर्मित जहाजों की उपस्थिति भारतीय शिपयाडरें के जहाज निर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित करने का एक अवसर है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारत के इंडो पैसिफिक नीति के मूल में आसियान है, जैसा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में सिंगापुर के सांगरी ला डायलॉग के अपने भाषण में व्यक्त किया था। एआईएम (ऐक्ट ईस्ट) के भारत के इस विश्वास और प्रतिबद्धता को ‘क्षेत्र में सबके लिए सुरक्षा और विकास’ (एसएजीएआर) को प्रबल करता है। नौसेना प्रमुख की यात्रा सिंगापुर के साथ-साथ क्षेत्र में ‘आसियान केन्द्रीयता’ की भारत की नीति के साथ द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के उच्च स्तर को और मजबूत करेगी।