नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों की भाषा और व्यवहार को निराशाजनक बताते हुए कहा कि इस सदन में जो कहा जाता है, उसे देश ध्यान से सुनता है। कुछ सांसद सदन को बदनाम कर रहे हैं। मैं सभी को याद दिलाना चाहता हूं कि आप जितना कीचड़ उछालेंगे, कमल उतना ही खिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी संसद सदस्यों की नारेबाजी के बीच राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। अडानी विवाद पर विपक्षी सदस्यों ने इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की। प्रधानमंत्री मोदी ने विरोध कर रहे विपक्षी सदस्यों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके कृत्यों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आगे बढ़ने में मदद मिलती है।
उन्होंने कहा, “बीते दशकों में अनेक बुद्धिजीवियों ने इस सदन से देश को दिशा दी है। देश का मार्गदर्शन किया है। इस देश में जो भी बात होती है, उसे देश बहुत गंभीरता से सुनता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों का व्यवहार और वाणी न केवल सदन, बल्कि देश को निराश करने वाली है। इस प्रकार की वृत्ति वालों को मैं यही कहूंगा- कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल। जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल, जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही खिलेगा।”
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर विकास की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस का खड़गे जी के दावे के अनुसार नींव बनाने का इरादा हो सकता है, लेकिन उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान केवल गड्ढों को खोदा और विकास में अड़ंगा लगाया। इससे देश ने छह दशक गंवाए, जबकि छोटे देशों ने तरक्की की। उन्होंने कहा कि केवल मंशा व्यक्त करने से काम नहीं चलता, गति, दिशा और विकास का परिणाम मायने रखता है।
उन्होंने आगे कहा, “60 साल कांग्रेस के परिवार ने गड्ढे ही गड्ढे कर दिए थे। हो सकता है, उनका इरादा न हो। लेकिन, उन्होंने किए। जब वे गड्ढे खोदकर छह दशक बर्बाद कर चुके थे, तब दुनिया के छोटे-छोटे देश भी सफलता के शिखरों को छू रहे थे।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार की नीतियां देश के सामने मौजूद मुद्दों का स्थायी समाधान खोजने पर केंद्रित हैं। 2014 तक आधी से ज्यादा आबादी बिना बैंकिंग सुविधाओं के थी, जबकि पिछले 9 सालों में 48 करोड़ खाते खुले हैं।
मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में ‘जन धन आधार मोबाइल’ त्रिमूर्ति का उपयोग करके डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों को 27 लाख करोड़ रुपये भेजे गए। “जनधन, आधार और मोबाइल… ये वह त्रि-शक्ति है, जिससे पिछले कुछ वर्षों में 27 लाख करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से सीधा हितधारकों के खातों में गए हैं। इससे 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक रुपया जो किसी इको-सिस्टम के हाथों में जा सकता था, वह बच गया। अब जिनको ये पैसा नहीं मिल पाया, उनका चिल्लाना स्वाभाविक है।”