Tuesday, November 19, 2024

चंद्रयान-3 मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च, पीएम ने बताया अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय, लखनऊ में मना जश्न

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा के लिए चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। चंद्रयान-3 लैंडर, रोवर और पॉपुलेशन मॉड्यूल से लैस है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसरो को बधाई देते हुए कहा कि भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित करते हुए चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इसरो टीम और इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए अथक प्रयास करने वाले सभी लोगों को हार्दिक बधाई। यह अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के प्रति देश की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। चंद्र मिशन की सफलता के लिए शुभकामनाएं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा है। यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। वे उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करते हैं।

चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो में जश्न मनाया गया। इस अवसर पर मौजूद केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह एक गर्व का क्षण है और इसके लिए वह इसरो की टीम को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने देश को गौरवान्वित महसूस कराया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि स्काई इज नॉट द लिमिट और आज हम आकाश से भी आगे निकले हैं ताकि आगे की दुनिया को देख सकें। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का विक्रम साराभाई ने छह दशक पहले सपना देखा था। यह उनके और भारतीय वैज्ञानिकों के आत्मविश्वास का नतीजा है कि आज हम इस पड़ाव पर पहुंचे हैं। आज हम आत्मनिर्भरता के साथ दुनिया में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। हमारे प्रिय एलवीएम3 ने पहले ही चंद्रयान-3 यान को पृथ्वी के चारों ओर सटीक रूप से स्थापित कर दिया है। आइए हम चंद्रयान-3 को आने वाले दिनों में कक्षा उत्थान और चंद्रमा की ओर यात्रा के लिए शुभकामनाएं दें। कक्षा उत्थान प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 को चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेप पथ में डाला जाएगा। तीन लाख किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए यह आने वाले हफ्तों में चंद्रमा पर पहुंचेगा। यहां सॉफ्ट लैंडिंग के बाद यान पर मौजूद वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे।

उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 के बाद का मिशन है। चंद्रयान में लैंडर और रोवर पर लगे वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा के पर्यावरण और थर्मो-फिजियो गुणों सहित चंद्रमा के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने में सक्षम होंगे। साथ ही चंद्रयान-3 मिशन में शामिल एक अन्य प्रायोगिक उपकरण पृथ्वी के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने में भी सक्षम हो सकेगा।

चंद्रयान-3 की सफलता से भारत चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना जाएगा। चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है और इसका उद्देश्य चंद्रमा अथवा चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग में भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है। अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के लिए आवश्यक जटिल मिशन प्रोफ़ाइल को बहुत सटीक तरीके से क्रियान्वित किया गया है। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर बाहर आएगा और चंद्रमा पर 14 दिनों तक कार्य कर सकेगा। रोवर पर कई कैमरों के सहयोग से तस्वीरें प्राप्त होंगी।

चंद्रयान-3 मिशन के तीन प्राथमिक उद्देश्य हैं;- चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग का प्रदर्शन, चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन और इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन।

चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति की खोज करने का श्रेय चंद्रयान की शृंखला में प्रथम अर्थात् चंद्रयान-1 को दिया जाता है, जो दुनिया और सबसे प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक नई खोज थी और यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका का नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) इस खोज से आकर्षित हुआ और उन्होंने अपने आगे के प्रयोगों के लिए इस इनपुट का उपयोग किया।

इसी बीच इसकी सफलता को लेकर पूरे देश में जश्न का माहौल है। हालांकि, यह जश्न लखनऊ में कुछ खास है क्योंकि इस शहर की बेटी रितु कारीधाल इस मिशन का अहम हिस्सा हैं। जैसे ही यान का प्रक्षेपण किया गया वैसे ही राजाजीपुरम स्थित रितु कारीधाल के भाई रोहित के घर पर आसपास लोग जुट गए।

पड़ोस के लोग मिठाईयां लेकर बधाई देने उनके पहुंचे। व्यंग्यकार और रोहित के पारिवारिक मित्र अनूप मणि त्रिपाठी इस खुशी का हिस्सा बने। उन्होंने कहा कि यह क्षण बहुत गर्व का है। यह मिशन बहुत अहम है। दीदी के पास बड़ी जिम्मेदारी रही, इसलिए ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं है। बस उनका संदेश आया है कि अभी असली परीक्षा बाकी है, मिलकर सब प्रार्थना करो।

दीदी दरअसल बहुत शांत और ईश्वर में आस्था रखने वाली हैं। हम सब यही प्रार्थना करते हैं कि जिस मकसद से चंद्रयान को छोड़ा गया है, वो उसमें कामयाब हो। परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार, चंद्रयान-3 की लैंडिंग की जिम्मेदारी इस बार वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक डॉ. रितु कारीधाल को सौंपी गई है और वह चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर हैं।

इसके पहले डॉ. रितु कारीधाल मंगलयान की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर और चंद्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर रह चुकी हैं। इस बार चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं बल्कि एक प्रोपल्शन मॉड्यूल है, जो किसी संचार उपग्रह की तरह काम करेगा। रितु कारीधाल लखनऊ के राजाजीपुरम की रहने वाली हैं। उन्होंने वर्ष 1991 में लखनऊ व‍िश्‍वव‍िद्यालय में बीएससी भौतिक विज्ञान में प्रवेश लिया था।

फिर 1996 में एमएससी भौतिक विज्ञान की डिग्री पूरी की। वह शुरू से ही मेधावी छात्रा रहीं। उनकी रुचि स्पेस फिजिक्स में थीं। उसके बाद उन्होंने पीएचडी भौतिक विज्ञान में भी प्रवेश लिया, लेकिन छह महीने के बाद ही वर्ष 1997 में उनका चयन इसरो में हो गया, जिसकी वजह से वह पीएचडी नहीं पूरी कर पाईं थीं। लखनऊ व‍िश्वव‍िद्यालय ने अपनी पूर्व छात्रा रितु कारीधाल को वर्ष 2019 के दीक्षा समारोह में मानद उपाधि से सम्मानित किया था।

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