पहले दिल की बीमारी बढ़ती उम्र के साथ होती थी अब छोटे बच्चों, जवां बच्चों में या किसी भी उम्र में हो सकती है। दिल की बीमारी भी हमारे अनहैल्दी लाइफ स्टाइल की देन है। छाती में दर्द बने रहना या अचानक से तेज हो जाना, सीने में जलन, जकडऩ, दिल की धड़कन का तेज होना, छाती से दर्द बाएं हाथ की ओर फैलना इसके लक्षण हैं।
ऐसे में थकान भी जल्दी महसूस होती है, सीढिय़ां चढ़ते समय लगता है जैसे दिल पर अधिक दबाव महसूस हो रहा है। ये सभी लक्षण दिल से संबंधित बीमारी के होते हैं। हमें इनसे बचे रहने के लिए कुछ बातों पर विशेष ध्यान 30 वर्ष की आयु के बाद देना चाहिए ताकि अधिक समय तक स्वस्थ दिल हमारा साथ दे सके। हार्ट की बीमारी से बचने के लिए हमें प्रारंभ से ही कम नमक और कम तेल का सेवन करना चाहिए।
अगर दिल घबरा रहा हो, धड़कन तेज हो और पसीना भी आ रहा हो तो मीठा अनार खाएं या आलूबुखारा लें। तुरंत राहत मिलेगी।
1 छोटा चम्मच मेथीदाना धोकर रात्रि में भिगोकर रखें, मेथीदाना खाली पेट चबाकर खाा जाएं और पानी पी लें। नियमित ऐसा करने से ।दय रोग से बचे रहेंगे।
सफेद जीरा, काला जीरा, अजवायन, सेंधा नमक बराबर मात्रा में मिला लें। हींग को भूनकर उसको पीस लें अब सबको मिलाकर शीशी में भर लें और रोजाना अढ़ाई से तीन ग्राम का सेवन करें। हींग की मात्र अजवायन जितनी ही रखें।
प्रात: खाली पेट 1 मुट्ठी जितना अनारदाना 1 गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए उसे गुनगुना होने छोड़ दें। बाद में छानकर पानी पी लें और दाने भी खा लें। नियमित करने से ह्रदय संबंधी समस्याओं में लाभ मिलता है।
अलसी के बीज नियमित एक चम्मच फांकें। ऐसा नियमित करें। हार्ट संबंधी समस्या के लिए अलसी के बीज और लहसुन बहुत फायदेमंद होते हैं।
हाई बीपी होने पर या हार्ट संबंधी समस्या होने पर सुबह शाम लौकी का सूप पिएं या उसकी सब्जी नियमित खाएं। एक माह तक नियमित ऐसा करने से लाभ मिलेगा।
10 मि.ली अनार का रस, 10 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीने से ।दय की जकडऩ दूर होती है।
तनाव से दूरी रखें। तनाव हार्ट का सबसे बड़ा दुश्मन है।
नियमित जांच डाक्टर से कराते रहें। थोड़ी सी ज्यादा तकलीफ होने पर डाक्टर से संपर्क करें।
नियमित छाछ पीने से ह्रदय की रक्तवाहिनियों में बढ़ी चर्बी कम होती है।
– नीतू गुप्ता