नयी दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के 112 आकांक्षी जिलों के विकास के कार्यक्रम की महत्वाकांक्षी सफलता और 25 करोड़ लोगों के जीवन में बदलाव आने की सराहना करते हुए आज नौकरशाही को नसीहत दी कि वे अब देश के सौ ब्लॉकों और सौ पिछड़े गांवों काे चिह्नित करके उनके विकास का मॉडल तैयार करें।
श्री मोदी ने यहां भारत मंडपम में देश के महत्वाकांक्षी ब्लॉकों के लिए ‘संकल्प सप्ताह’ नाम से सप्ताह भर का एक कार्यक्रम शुरू किया। इस अवसर पर उन्होंने महत्वाकांक्षी ब्लॉक प्रोग्राम पोर्टल भी लॉन्च किया और एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने ब्लॉक स्तर के तीन अधिकारियों से भी बातचीत की।
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के बरेली के बहेरी की स्कूल शिक्षिका सुश्री रंजना अग्रवाल, मनकोट, पुंछ, जम्मू और कश्मीर से आए सहायक सर्जन पशुचिकित्सक डॉ. सजीद अहमद और मेघालय के रेसुबेलपारा, एनजीएच (गारो क्षेत्र) के जूनियर ग्रामीण विकास अधिकारी श्री मिकेनचर्ड च मोमिन से उनके क्षेत्र में उनके द्वारा की गयी पहलों के बारे में जानकारी ली और आकांक्षी ब्लॉक एवं जिला कार्यक्रम में ग्राम पंचायत की भूमिका के महत्व को रेखांकित किया।
श्री मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए उन लोगों का उल्लेख किया जो दूर-दराज के क्षेत्रों में विकास का ध्यान रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार की सोच का संकेत है कि इस तरह का जमावड़ा जी-20 शिखर सम्मेलन स्थल पर हो रहा है, जहां एक महीने पहले ही विश्व मामलों की दिशा तय करने वाले लोग एकत्र हुए थे। प्रधानमंत्री ने जमीनी स्तर पर बदलाव लाने वालों का स्वागत किया।
श्री मोदी ने जोर देकर कहा, “मेरे लिए यह सभा जी20 से कम नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम टीम भारत की सफलता और सबका प्रयास की भावना का प्रतीक है। यह कार्यक्रम भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है और इसमें ‘संकल्प से सिद्धि’ निहित है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “स्वतंत्र भारत के शीर्ष 10 कार्यक्रमों की किसी भी सूची में, आकांक्षी जिला कार्यक्रम स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा।” उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने 112 जिलों में लगभग 25 करोड़ लोगों के जीवन को बदल दिया है। उन्होंने कार्यक्रम के लिए वैश्विक प्रशंसा का उल्लेख करते हुए कहा, इस कार्यक्रम की सफलता एस्पिरेशनल ब्लॉक्स कार्यक्रम का आधार बन गई। प्रधान मंत्री ने रेखांकित किया कि आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम न केवल इसलिए बड़ी सफलता होगी क्योंकि यह योजना अभूतपूर्व है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि इसके लिए काम करने वाले लोग विलक्षण हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जमीनी स्तर पर काम करने वालों का मनोबल देखने के बाद उनका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वह जमीनी स्तर के अधिकारियों के साथ उनकी टीम के सदस्य के रूप में काम करना चाहते हैं और विश्वास जताया कि कार्यक्रम के लक्ष्यों को समय से पहले हासिल कर लिया जाएगा। प्रधान मंत्री मोदी ने रेखांकित किया कि कार्यक्रम की उनके द्वारा सावधानीपूर्वक निगरानी की जाएगी, इसलिए नहीं कि वह उनके कौशल का परीक्षण करना चाहते हैं, बल्कि इसलिए कि जमीनी स्तर पर सफलताएं उन्हें अथक परिश्रम करने के लिए अधिक ऊर्जा और उत्साह देती हैं। उन्होंने कहा, “आकांक्षी जिला कार्यक्रम का प्रगति चार्ट मेरे लिए प्रेरणा बन गया।”
श्री मोदी ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम के 5 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम के तीसरे पक्ष के मूल्यांकन पर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम की सरल रणनीति का उल्लेख करते हुए कहा कि ये शासन के चुनौतीपूर्ण कार्यों को पूरा करने के सबक हैं। समग्र विकास के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सभी हिस्सों और क्षेत्रों का ध्यान रखा जाना चाहिए। “सर्वसमावेशी विकास का अभाव, सभी को छूना, सभी को लाभ पहुंचाना संख्यात्मक विकास तो दिखा सकता है लेकिन बुनियादी विकास नहीं होता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम हर जमीनी स्तर के पैरामीटर को कवर करते हुए आगे बढ़ें।”
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित विभागों के सचिवों से दो नई दिशाओं – हर राज्य का तेजी से विकास और पिछड़े जिलों की मदद – पर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे देश में ऐसे 100 ब्लॉकों की पहचान करने को कहा जो उनके संबंधित विभागों में पिछड़ रहे हैं और स्थितियों में सुधार लाने की दिशा में काम करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब 100 चिन्हित ब्लॉक देश के औसत से ऊपर चले जाएंगे तो विकास के सभी मानक बदल जाएंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र के सभी विभाग उन ब्लॉकों के विकास पर जोर दें जिनमें सुधार की गुंजाइश है। राज्य सरकारों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने 100 सबसे पिछड़े गांवों की पहचान करने और उन्हें सुधारने के लिए एक मॉडल बनाने का सुझाव दिया जिसे अगले 1000 गांवों को विकसित करने के लिए दोहराया जा सकता है।
श्री मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के प्रण का जिक्र करते हुए कहा कि विकसित होने का मतलब विकसित महानगर और पिछड़े गांव नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हम उस मॉडल का पालन नहीं करते हैं, हम 140 करोड़ लोगों के साथ चलना चाहते हैं।” उन्होंने आकांक्षी जिला कार्यक्रम के दौरान जिलों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का उल्लेख किया और गुजरात के कच्छ जिले का उदाहरण दिया, जिसे कभी अधिकारियों के लिए दंडात्मक पोस्टिंग का स्थान माना जाता था, लेकिन भूकंप के बाद वहां अब तैनात अधिकारियों के समर्पण और परिश्रम से यह सबसे सम्मानजनक स्थान बन गया है। उन्होंने देश के आकांक्षी जिलों में हुए विकास के लिए युवा अधिकारियों को श्रेय दिया। आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के लिए, प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार को ब्लॉक स्तर पर सफल होने वाले युवा अधिकारियों को बढ़ावा देकर प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया।
प्रधानमंत्री ने सरकार के बजट के सिर्फ आउटपुट ओरिएंटेशन से परिणाम में बदलाव के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि इससे गुणात्मक परिवर्तन आया है। शासन के अपने व्यापक अनुभव के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि बजट परिवर्तन का एकमात्र कारक नहीं है। उन्होंने बिना बजट के विकास के आधार के रूप में संसाधनों के अधिकतम उपयोग और अभिसरण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि योजनाओं के अभिसरण और संपूरकता का लाभ उठाया जाना चाहिए। उन्होंने अच्छे प्रदर्शन वाले पहलुओं पर परिणामों पर अत्यधिक निर्भरता और संसाधनों को उनकी ओर धकेलने की भ्रांति के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, “संसाधनों को बहुतायत में धकेलने से बर्बादी होती है, जबकि अगर इसे जरूरतों के क्षेत्रों में दिया जाए, तो उपयोग बहुत बेहतर होता है। जरूरतमंद क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देते हुए संसाधनों को समान रूप से वितरित किया जाना चाहिए।”
श्री मोदी ने सरकार पर निर्भरता की मानसिकता से बाहर आने की आवश्यकता पर बल दिया और महान कार्यों को पूरा करने के लिए समाज की ताकत पर प्रकाश डाला। ‘जनभागीदारी’ की आवश्यकता के बारे में बोलते हुए, उन्होंने हर क्षेत्र में एक नेता की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने ‘संकल्प सप्ताह’ कार्यक्रम में विकसित की जा रही टीम भावना के पहलू पर प्रकाश डाला, जिससे नेताओं और जनभागीदारी के लिए नए विचारों का उदय होगा। उन्होंने प्राकृतिक आपदा के दौरान समाज के एक-दूसरे की मदद के लिए एकजुट होने का उदाहरण दिया। उन्होंने लोगों की भागीदारी की भावना को प्रेरित करने के लिए ब्लॉक स्तर पर सामूहिक रूप से काम करने का भी जिक्र किया और कुपोषण को खत्म करने के लिए क्षेत्रीय संस्थानों की वर्षगांठ मनाने और ऐसे अवसरों पर स्कूली बच्चों को भोजन वितरित करने का उदाहरण दिया। श्री मोदी ने जोर देकर कहा, “जनभागीदारी या लोगों की भागीदारी में समस्याओं का समाधान खोजने की जबरदस्त क्षमता है।”
प्रधानमंत्री ने देश की बढ़ती वैश्विक प्रोफ़ाइल में प्रवासी भारतीयों की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए सामाजिक भागीदारी की शक्ति का वर्णन किया क्योंकि उनकी सक्रियता ने सरकार के राजनयिक प्रयासों का समर्थन किया है। प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधियों से संकल्प सप्ताह का अधिकतम उपयोग करने को कहा। उन्होंने उनसे संसाधनों को एकत्रित करने और अधिकतम प्रभाव के लिए प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। यह साइलो को हटा देगा और संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण को प्रभावित करेगा। प्रधानमंत्री ने संचार में प्रौद्योगिकी की भूमिका को स्वीकार करते हुए कहा कि भौतिक उपस्थिति का कोई विकल्प नहीं है और हमें इससे समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि जब हम वहां जाते हैं तो हमें उस स्थान की ताकत का पता चलता है। उन्होंने कहा कि ‘संकल्प सप्ताह’ के दौरान सहकर्मियों के साथ एक सप्ताह तक बैठने से उन्हें एक-दूसरे की ताकत और जरूरतों के बारे में पता चलेगा और टीम भावना में सुधार होगा।
प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधियों से 5 मापदंडों पर ध्यान केंद्रित करने और अच्छे परिणाम प्राप्त करने को कहा। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा, समस्याओं के इस क्रमिक समाधान के साथ, ब्लॉक दूसरों के लिए आकांक्षा का स्रोत बन जाएगा। उन्होंने कहा,“112 जिले जो आकांक्षी जिले थे, अब प्रेरणादायक जिले बन गए हैं। मुझे यकीन है कि एक साल के भीतर कम से कम 100 आकांक्षी ब्लॉक प्रेरणादायक ब्लॉक बन जाएंगे।”
इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी भी उपस्थित थे।