‘सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।’ आमतौर पर सिगरेट के पैकेटों पर यह वैधानिक चेतावनी लिखी रहती है लेकिन आज इस चेतावनी की ओर ध्यान ही कौन देता है? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि तंबाकू की खेती करने वाले दुनिया भर के लगभग 1०० देशों में भारत का तीसरा स्थान हैै।
अभी तक हुई चिकित्सकीय खोजों से यह स्पष्ट हो चुका है कि धूम्रपान से हृदय रोग, ब्रोंकाइटिस, लकवा, पेट का अल्सर, दमा, तपेदिक, बांझपन, मोतियाबिंद, नपुंसकता, मिर्गी तथा सभी प्रकार के कैंसर होने की पूरी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में 41 प्रतिशत पुरूष तथा 21 प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान में लिप्त हैं।
सिगरेट और बीड़ी के धुएं में लगभग 4००० रसायनिक पदार्थ मौजूद होते हैं। इनमें से मुख्य हैं-निकोटिन, पोलोनियम 21०, निकिल, टार, कार्बन मोनोक्साइड, जस्ता, पीरीडीन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन सायनाइड, अमोनिया, कैडमियम, कार्बन डाइऑक्साइड, बेंजापाइरिन, एसीटिल्डिहाइड आदि।
तंबाकू में लगभग 2 प्रतिशत निकोटीन पायी जाती है जिससे रक्तचाप एवं हृदयगति तेज हो जाती है। एक सिगरेट में लगभग ०.1 ग्राम निकोटीन होती है। कैडमियम जैसी भारी धातु फेफड़ों के ऊतकों को प्रभावित करती है। खाने के बाद सिगरेट पीने से पेट और आंतों में क्रमाकुंचन क्रिया धीमी पड़ जाती हैं जिससे पाचनशक्ति प्रभावित होती है।
आंकड़े बताते हैं कि लंबे समय तक धूम्रपान करने वाले 8 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति को फेफड़ों के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा धूम्रपान से मुंह, जीभ, गला, मूत्राशय और प्रोस्टेट ग्रंथि का कैंसर भी होता है। टार से फेफड़े का कैंसर होने की पूरी संभावना रहती है।
सिगरेट के धुंए में करीब 5 प्रतिशत कार्बन मोनोआक्साइड होती है जिससे लाल रक्त कणिकाओं में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार सिगरेट पीने से प्रतिवर्ष वायुमंडल में 1०.5 टन कैडमियम, 14.8 टन सीसा, 48.5 टन तांबा एवं अन्य कई रसायन फैल रहे हैं।
आज हमें यह समझना आवश्यक है कि सिगरेट पीकर न समुद्र लांघा जा सकता है और न ही मोटर साइकल से पहाड़ पर छलांग लगाई जा सकती है। हां, तंबाकू व धूम्रपान के माध्यम से कैंसर जैसी असामान्य बीमारियों को आमंत्रण दिया जा सकता है। इससे और कुछ हासिल हो सकता है तो वह है असामयिक व कष्टदायक मौत।
-उमेश कुमार साहू