Wednesday, April 23, 2025

विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन जरूरी- बिरला

नयी दिल्ली। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया है।

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बिरला ने बुधवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित मिशन ‘’लाइफ” – पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली के साथ इस चुनौती से निपटने में भारत सबसे आगे है। लोकसभा अध्यक्ष संसद भवन परिसर में भारतीय वन सेवा के 2023-25 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए ‘संसदीय पद्धति और प्रक्रिया’ विषय पर आयोजित परिबोधन पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

 

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इस पाठ्यक्रम का आयोजन लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध और प्रशिक्षण संस्थान द्वारा किया जा रहा है। बिरला ने कहा कि भारतीय वन सेवा पर जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए अभियान चलाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है । उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से देश के वन क्षेत्र का विस्तार करने और वन्यजीवों की रक्षा करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने का आग्रह भी किया।

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उन्होंने कहा , “ भारतीय संस्कृति में प्रकृति पूजनीय है। हम पेड़ों की पूजा करते हैं और धरती को अपनी मां मानते हैं। बिरला ने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हमारी रीतियाँ और नीतियाँ प्रकृति के प्रति सम्मान की भावना पर आधारित हैं । इसी को ध्यान में रखते हुए देश में बड़ी संख्या में वन पार्क बनाए गए हैं और वन क्षेत्रों को विकसित करने के लिए नीतिगत प्रयास किए गए हैं जिससे इन क्षेत्रों में पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है।”

 

 

 

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद में वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण असंतुलन से संबंधित मुद्दों पर नियमित रूप से चर्चा होती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आत्मविश्वास, नए विचारों और तकनीक से सम्पन्न युवा अधिकारी इन चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को संसद में पारित कानूनों का अध्ययन करने और नई चुनौतियों से निपटने के तरीकों को समझने की सलाह दी। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि वन उत्पादों का उपयोग वैज्ञानिक रीति से किया जाना चाहिए और इनका उचित मूल्य दिया जाना चाहिए।

 

 

भारतीय वन सेवा के 112 प्रशिक्षु अधिकारी, जिनमें 22 महिला प्रशिक्षु और 90 पुरुष प्रशिक्षु शामिल हैं, इस परिबोधन पाठ्यक्रम में भाग ले रहे हैं। रॉयल भूटान सेवा के दो अधिकारी भी इस पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण ले रहे हैं।

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