नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को जी 20 देशों के संसद अध्यक्षों से कहा कि संकटों और टकरावों से जूझ रहे विश्व के सामने आतंकवाद जैसी बड़ी चुनौतियां हैं जिनका समाधान बंटी हुई दुनिया नहीं कर सकती, इसीलिए यह मिलकर साथ चलने और व्यापक भागीदारी से निर्णय लेने का समय है।
मोदी ने आज यहां यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में जी 20 देशों के संसदीय अध्यक्षों के नौवें पी 20 सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए इजरायल तथा फलस्तीन के बीच जारी भीषण संघर्ष तथा रूस एवं यूक्रेन टकराव के परिप्रेक्ष्य में कहा,’ दुनिया के अलग-अलग कोनों में जो कुछ भी घट रहा है, उससे आज कोई भी अछूता नहीं है। संघर्ष और टकराव से आज दुनिया संकटों से जूझ रही है।’
प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधारों की वकालत करते हुए कहा ,’ यह संकटों से भरी दुनिया किसी के भी हित में नहीं है। मानवता के सामने जो बड़ी चुनौतियां हैं, उनका समाधान एक बंटी हुई दुनिया नहीं दे सकती। यह शांति और भाईचारे का समय है, साथ मिलकर चलने का समय है, साथ आगे बढ़ने का समय है। यह सबके विकास और कल्याण का समय है।’
मोदी ने कहा कि वैश्विक विश्वास के संकट को दूर करना होगा और मानव केंद्रित सोच पर आगे बढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा,’ हमें विश्व को एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना से देखना होगा। दुनिया से जुड़े फैसले लेने में भागीदारी जितनी अधिक होगी, उतना ही बड़ा इम्पैक्ट होगा।’ उन्होंने कहा कि भारत ने इसी भावना पर आगे बढ़ते हुए अफ्रीकी संघ को जी 20 का स्थायी सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखा और सभी ने इसे स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में अफ्रीकी देशों की संसदों के अध्यक्ष इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दशकों से सीमा पार आतंकवाद का सामना कर रहा है और इसमें भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला भी शामिल है। उन्होंने कहा,’ भारत ऐसी अनेक आतंकी वारदातों से निपटते हुए आज यहां पहुंचा है। अब दुनिया को भी एहसास हो रहा है कि टैररिज्म दुनिया के लिए कितनी बड़ी चुनौती है। टैररिज्म चाहे कहीं भी होता हो, किसी भी कारण से होता हो, किसी भी रूप में होता है, लेकिन वो मानवता के विरुद्ध होता है। ऐसे में टैररिज्म को लेकर हम सभी को लगातार सख्ती बरतनी ही होगी।’
मोदी ने आतंकवाद की परिभाषा को लेकर दुनिया में आम सहमति नहीं बनने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा ,’ मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि टैररिज्म की परिभाषा को लेकर आम सहमति ना बन पाना ये बहुत दुखद है। दुनिया के इसी रवैये का फायदा मानवता के दुश्मन उठा रहे हैं। दुनिया-भर की पार्लियामेंट्स को, रिप्रेजेंटेटिव्स को ये सोचना होगा कि टैररिज्म के विरुद्ध इस लड़ाई में हम कैसे मिलकर काम कर सकें।’
उन्होंने कहा कि दुनिया की चुनौतियों से निपटने के लिए जन-भागीदारी से बेहतर माध्यम नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री ने कहा,’ मेरा हमेशा से ही मानना रहा है कि सरकारें बहुमत से बनती हैं, पर देश सहमति से चलता है। हमारी पार्लियामेंट्स, और ये पी 20 फोरम भी इस भावना को सशक्त कर सकती है।’
भारत में संसदीय परंपराओं का इतिहास हजारों वर्ष पुराना बताते हुए उन्होंने इनमें देशवासियों के अटूट विश्वास का उल्लेख किया। उन्होंने कहा ,’ इसकी एक बड़ी वजह है जिसे आपको जानना और समझना बहुत अहम है। ये शक्ति है, हमारी विविधता, हमारी विशालता, हमारी वाइब्रेंसी। हमारे यहां हर आस्था के लोग हैं। सैकड़ों तरह का खानपान, सैकड़ों तरह का रहन-सहन हमारी पहचान है। भारत में सैकड़ों भाषाएं बोली जाती हैं, हमारे यहां सैकड़ों बोलियां हैं। ‘
उन्होंने कहा , ’21वीं सदी में भारत की ये वाइब्रेंसी, विविधता में एकता, हमारी बहुत बड़ी शक्ति है। ये वाइब्रेंसी हमें हर चुनौती से लड़ने की, हर मुश्किल का मिलकर समाधान करने की प्रेरणा देती है।’
भारत में संसद और चुनावों की परंपरा को हजारों वर्ष पुराना बताते हुए उन्होंने कहा कि देश में आम चुनावों बड़ा उत्सव का रूप ले लेते हैं। उन्होंने सम्मेलन में आये सभी प्रतिभागियों को चुनाव के दौरान भारत आकर चुनावी प्रक्रिया को देखने का निमंत्रण भी दिया। उन्होंने भारत में चुनावों तथा संसदीय परंपराओं में सकारात्मक सुधारों का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ायी जा रही है और हाल ही में संसद तथा विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर ऐतिहासिक पहल की गयी है। इससे संसदीय परंपरा और समृद्ध होगी। इससे देश में संसदीय परंपराओं में अटूट विश्वास का भी पता चलता है।