नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को प्रशासन में नवाचार और नए विचारों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सरकार नियम-कानून और पुरानी व्यवस्था तक सीमित नहीं होती।
प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात में ‘स्वागत’ पहल के 20 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए योजना के लाभार्थियों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे देश में दशकों से यह मान्यता चली आ रही थी कि कोई भी सरकार आए उसे बनी-बनाई लकीरों पर ही चलते रहना होता है। लेकिन ‘स्वागत’ के माध्यम से गुजरात ने इस सोच को बदलने का काम किया है।
गुजरात सरकार पहल के 20 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे होने पर ‘स्वागत सप्ताह’ मना रही है। ‘स्वागत’ की विशिष्टता यह है कि वह आम आदमी को अपनी शिकायतें सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचाने में मदद करता है। यह महीने के चौथे गुरुवार को आयोजित किया जाता है, जिसमें मुख्यमंत्री शिकायत निवारण के लिए नागरिकों के साथ बातचीत करते हैं।
यह शिकायतों के त्वरित समाधान के जरिए आम लोगों और सरकार के बीच की खाई को पाटने में सहायक रहा है। इस कार्यक्रम के तहत सुनिश्चित किया जाता है कि प्रत्येक आवेदक को निर्णय के बारे में सूचित किया जाए। सभी आवेदनों की कार्यवाही ऑनलाइन उपलब्ध होती है। अबतक दर्ज की गई 99 प्रतिशत से अधिक शिकायतों का समाधान किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनके लिए ‘स्वागत’ की सफलता का सबसे बड़ा पुरस्कार यह है कि इसके जरिए हम गुजरात के लोगों की सेवा कर पाये। स्वागत का अर्थ लोकतांत्रिक संस्थाओं में आम लोगों का स्वागत है। इसका सार आम लोगों के लिए समाधान है और आज स्वागत ईज ऑफ लिविंग एंड रीच ऑफ गवर्नेंस का माध्यम बन गया है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए स्वागत (स्टेट वाइड अटेंशन ऑन ग्रीवन्सेज बाई एप्लीकेशन ऑफ टेक्नोलॉजी) की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी।