नई दिल्ली। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) महाराष्ट्र की बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को उनकी बर्खास्तगी का आदेश दो दिनों में उपलब्ध करा देगा। यूपीएससी ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में इस बात की जानकारी दी। उसके बाद जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने याचिका का निस्तारण करते हुए पूजा खेडकर को अपनी बर्खास्तगी को उचित फोरम में चुनौती देने की छूट दी।
सुनवाई के दौरान आज पूजा खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता को यूपीएससी ने अभी तक बर्खास्तगी का कोई आदेश नहीं दिया है। यूपीएससी ने एक विज्ञप्ति में बताया है कि याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी कर दी गई है। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि बिना किसी आदेश के वो विज्ञप्ति के आधार पर अपनी बर्खास्तगी को कैसे चुनौती दे सकती हैं। याचिकाकर्ता के पास केवल विज्ञप्ति है। उन्होंने इस विज्ञप्ति को निरस्त करने की मांग करते हुए आधिकारिक आदेश की प्रति की मांग की। सुनवाई के दौरान यूपीएससी की ओर से पेश वकील नरेश कौशिक ने कहा कि विज्ञप्ति इसलिए जारी की गई, क्योंकि पूजा खेडकर कहां हैं, इसका पता नहीं चल सका। यूपीएससी दो दिनों के अंदर पूजा खेडकर की बर्खास्तगी का आदेश उनके ई-मेल और पते पर भेज देगी। उसके बाद कोर्ट ने पूजा खेडकर को बर्खास्तगी को चुनौती देने के लिए उचित फोरम पर जाने की अनुमति दे दी।
हाई कोर्ट ने कहा कि हमने पूजा की याचिका के गुण-दोष के आधार पर कोई सुनवाई नहीं की है और कोई भी फोरम हमारे आदेश को अपना आधार नहीं बनाएगी। पूजा खेडकर ने यूपीएससी की ओर से उसकी उम्मीदवारी को निरस्त करने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने एक अगस्त को पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। एडिशनल सेशंस जज देवेन्द्र कुमार जांगला ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने का आदेश दिया था। पटियाला हाउस कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान पूजा खेडकर की ओर से पेश वकील बीना माधवन ने कहा था कि इस मामले में शिकायत यूपीएससी की तरफ से की गई है, जिसमें जालसाजी, धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। माधवन ने कहा था कि यूपीएससी की शिकायत में कहा गया था कि खेडकर ने अपना नाम बदलकर यूपीएससी की परीक्षा में तय सीमा से अधिक अटेम्प्ट हासिल किए। जहां तक ज्यादा अटेम्प्ट की बात है, उन्होंने भूलवश संख्या गलत बताई।
माधवन ने पूजा खेडकर का विकलांगता प्रमाण पत्र अदालत के सामने रखते हुए बताया था कि यह सर्टिफिकेट आठ डॉक्टरों द्वारा बनाया गया है, जो एम्स का बोर्ड है। माधवन ने कहा था कि पूजा खेडकर के माता-पिता का तलाक हो चुका है। वह एक दिव्यांग है और उसे उसी व्यवस्था ने विकलांग बना दिया है, जिसका काम उसकी रक्षा करना था। उन्होंने सवाला उठाया था कि उसके खिलाफ यह सब क्यों किया जा रहा है, क्योंकि वह एक महिला है। क्योंकि वह दिव्यांग है। दरअसल, कुछ दिन पहले 2023 बैच की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर पर सत्ता के दुरुपयोग और फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए आरक्षण का लाभ लेने जैसे कई आरोप लगे थे।
इन आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने पूजा खेडकर के खिलाफ सभी आरोपों की जांच के लिए एक सदस्यीय पैनल का गठन किया था। एक सदस्यीय पैनल ने 27 जुलाई को अपनी जांच रिपोर्ट कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को सौंप दी थी। बाद में पूजा खेडकर को यूपीएससी ने बर्खास्त भी कर दिया है। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उसने यूपीएससी परीक्षा में बैठने से पहले खुद को ओबीसी श्रेणी का बताते हुए एक फर्जी प्रमाणपत्र जमा किया था। पूजा खेडकर पर आरोप है कि जाति आरक्षण का लाभ लेने के लिए घुमंतू जनजाति-3 श्रेणी के तहत भर्ती किया गया था, जो केवल बंजारा समुदाय के लिए आरक्षित है। पूजा खेडकर पर ये भी आरोप है कि उन्होंने फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था।