Friday, November 22, 2024

कड़े विरोध के बाद यूजीसी ने बहाल की पुरानी व्यवस्था: कांग्रेस

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने मोदी सरकार को दलित और आदिवासी विरोधी करार देते हुए सोमवार को कहा कि वह विश्वविद्यालयों में आरक्षण समाप्त करना चाहती है इसलिए सरकार ने प्रोफेसरों के आरक्षित पदों को अनारक्षित किया और कांग्रेस के जबरदस्त विरोध के बाद उसने कहा कि पहले की व्यवस्था ही लागू रहेगी।

 

कांग्रेस के असंगठित क्षेत्र के श्रमिक एवं कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष डॉ उदित राज तथा कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रमुख राजेश लिलोठिया ने सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-यूजीसी की एक गाइडलाइन आई जिसमें कहा गया कि विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के पदों पर अनुसूचितजाति- जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं इसलिए इन पदों को अनारक्षित किया जाना चाहिए। सरकार के इस फरमान पर कांग्रेस पार्टी ने कड़ा विरोध किया तो यूजीसी ने कहा कि हम ऐसा नहीं करने जा रहे हैं।

 

उन्होंने कहा कि आज अगर प्रोफेसर के पद खाली हैं तो उसका ये मतलब नहीं कि अनुसूचित जाति-जनजाति, ओबीसीके कैंडिडेट मौजूद नहीं हैं। कैंडिडेट मौजूद हैं लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता है, ताकि पदों को डिरिजर्व कर उन्हें जनरल कैटेगरी से भरा जाए।

 

डॉ. उदित राज ने कहा, “यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए रिक्तियों को डी-आरक्षित करने और पर्याप्त आरक्षित उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होने पर उन्हें सामान्य वर्ग के लिए खोलने के दिशानिर्देश जारी किए हैं। जनता की राय देने की अंतिम तिथि 28 जनवरी को समाप्त हो रही है। कांग्रेस ने इस जनविरोधी कदम का कड़ा विरोध किया तो यूजीसी को बयान जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि ऐसा कोई कदम नहीं है।”

 

उन्होंने कहा कि यह कहने का कोई औचित्य नहीं है कि योग्य उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे सैकड़ों और हजारों मामले हैं जहां योग्य उम्मीदवार उपलब्ध हैं लेकिन भेदभावपूर्ण आधार पर खारिज कर दिए जाते हैं। लिलोठिया ने कहा, “संविधान में एससी, एसटी तथा ओबीसी महिलाओं के लिए शिक्षा का जो अधिकार दिया गया था, भाजपा आरएसएस उसे छीनना चाहती है। हमारी मांग है कि यूजीसीके चेयरमैन जगदीश कुमार को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किया जाए और वे पूरे बहुजन समाज से माफी मांगे।

 

कुमार को जेएनयू में वीसी बनाया गया। आज जेएनयू में धर्म की राजनीति घुस चुकी है। जगदीश कुमार आरएसएस की कठपुतली हैं। संसद के अंदर बताया गया था कि 45 सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 42 प्रतिशत एसटी-एससी ओबीसी के पद खाली हैं। यह बेहद गंभीर मुद्दा है। जिस समाज में शिक्षा खत्म हो जाएगी, वह समाज कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा।”

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