नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में सभी अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले अब कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) से होने हैं। इस फैसले को आगे बढ़ाते हुए विश्वविद्यालय ने पहले पोस्ट ग्रेजुएट के लिए सीयूईटी को अनिवार्य किया और अब पीएचडी प्रोग्राम में भी कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर एडमिशन देने का फैसला लिया है। हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत टीचिंग और नॉन-टीचिंग कर्मचारी पीएचडी में दाखिले के लिए सीधे साक्षात्कार दे सकते हैं। दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की मदद से यह कदम उठाने जा रहा है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पीएचडी के लिए शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से सीयूईटी परीक्षाएं आयोजित करेगा। इन परीक्षाओं को ‘सीयूईटी पीएचडी’ का नाम दिया जाएगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि वह अगले सत्र से पीएचडी के लिए भी ऐसी ही कॉमन प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिले तय करेगा। गौरतलब है कि डीयू द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद यह प्रथम अवसर होगा, जब दिल्ली विश्वविद्यालय कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के जरिए पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन देगा।
दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में यह फैसला लिया गया। काउंसिल की बैठक में पांच वर्षीय एलएलबी प्रोग्राम सहित कई अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई है।
गौरतलब है कि सीयूईटी के माध्यम से अंडरग्रेजुएट दाखिलों के लिए इस वर्ष देशभर के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अलावा कई प्राइवेट, डीम्ड और राज्यस्तरीय विश्वविद्यालय सामने आए हैं। इन परीक्षाओं के माध्यम से 12वीं कक्षा पास करने वाले छात्र विभिन्न अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के प्रथम वर्ष में दाखिला पा सकेंगे।
इस साल सीयूईटी यूजी के लिए 16 लाख से ज्यादा छात्रों ने फॉर्म भरा था। इन छात्रों में से 14 लाख से अधिक छात्रों ने इसके लिए फीस भी जमा कराई। यूजीसी के मुताबिक, यह संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले यह पिछले 41 फीसदी अधिक है। बीते साल 9.9 लाख आवेदन आए थे। इस बार इतनी बड़ी संख्या में आवेदनों के चलते सीयूईटी यूजी-2023 परीक्षाएं जून तक चलीं। वहीं, 7 और 8 जून को आरक्षित तारीखों के रूप में रखा गया। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का वर्ष नया शैक्षणिक सत्र 1 अगस्त से शुरू होगा।