भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दुनिया की सबसे बड़ी ग्राउंड वाटर रिचार्ज परियोजना के लिए शनिवार को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच करार हुआ। इस परियोजना से दोनों राज्यों के साढ़े तीन लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को सिंचाई सुविधा मिलेगी। कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में शनिवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ‘तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना’ के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए। मोहन यादव ने कहा कि यह विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंडवॉटर रीचार्ज परियोजना है। यह एक अनूठी परियोजना है जो पूरे विश्व में भूजल पुनर्भरण का नया अध्याय लिखेगी। इससे प्रदेश के बड़े क्षेत्र विशेष रूप से निमाड़ का भूजल स्तर बढ़ेगा। यह वहां के लिए जीवनदायिनी सिद्ध होगी।
इससे मध्य प्रदेश के लगभग एक लाख 23 हजार तथा महाराष्ट्र के दो लाख 37 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा विकसित होगी। उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य का विषय है कि दशकों से रुकी पड़ी मेगा रिचार्ज योजना की दिशा में दोनों राज्य आगे बढ़े हैं। पहले भी केन-बेतवा तथा पार्वती काली सिंध चंबल परियोजनाओं की दशकों से अटकी परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं। एमओयू के उपरांत दोनों राज्य सरकारें भारत सरकार को तापी मेगा रिचार्ज योजना को अंतरराज्यीय राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना की स्वीकृति के लिए अनुरोध करेंगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कई दशकों से भारत में कई अंतरराज्यीय नदी परियोजनाएं राज्यों के बीच आपसी सहमति न होने के कारण अटकी हुई थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद अब ये योजनाएं मूर्त रूप ले रही हैं।
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सक्रियता के कारण आज 25 साल बाद मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की बैठक हुई है और उसमें तापी बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना एवं अन्य सिंचाई योजनाओं पर सहमति बनी है। यह दोनों राज्यों के लिए अत्यंत लाभकारी है। फडणवीस ने कहा कि यह परियोजना विश्व की सबसे बड़ी वॉटर रिचार्ज स्कीम है जो कि दुनिया का एक अजूबा है। मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्य की सीमा पर तापी नदी की घाटी में बजाड़ा जोन तैयार हुआ है जो ताप्ती नदी के समानांतर जाता है, जिसमें वॉटर रीचार्ज की अद्भुत क्षमता है। इस परियोजना से दोनों राज्यों के बड़े क्षेत्र में वॉटर रीचार्ज होगा, जिसका लाभ लाखों किसानों को मिलेगा। कार्यों को गति देने के लिए पुनः अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की बैठक आगामी अक्टूबर माह में महाराष्ट्र में आयोजित की जाएगी।