Sunday, September 8, 2024

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार का आंदोलन स्थगित, चीफ जस्टिस के आश्वासन पर किया फैसला

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने तीन दिन से चल रहे कार्य बहिष्कार के अपने निर्णय को चीफ जस्टिस अरुण भंसाली के आश्वासन पर स्थगित कर दिया है। आन्दोलन को लेकर आगे की कार्रवाई के लिए बार एसोसिएशन ने 29 जुलाई को अपनी मीटिंग बुलाई है, जिसमें आगे का निर्णय लिया जाएगा।

बार एसोसिएशन ने शुक्रवार को निर्णय लिया कि चीफ जस्टिस से अनुरोध किया जाएगा कि वह उन वकीलों का नाम जज के लिए न भेजें जो हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य नहीं हैं। बार एसोसिएशन की तरफ से यह भी कहा गया है कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन चीफ जस्टिस आफ इंडिया से अनुरोध करेगा कि वह जजों के बच्चे अथवा उनके नजदीकी रिश्तेदार की हाईकोर्ट में वकालत करने के मामले पर विचार कर निर्णय लें, ताकि जनता का न्यायपालिका पर विश्वास कायम रहे।

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आज भी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के निर्देश पर परिसर में प्रवेश करने वाले सभी गेटों पर वकीलों की ड्यूटी लगाई गई थी, ताकि कोई भी वकील चाहे सरकारी हो अथवा गैर सरकारी किसी भी केस में बहस करने के लिए कोर्ट में हाजिर न हो सके। बार एसोसिएशन की इस सख्ती के चलते किसी भी कोर्ट में न्यायिक कार्य नहीं हो सका। वादकारियों को इस कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश के सुदूर इलाकों से न्याय पाने के लिए आए वादकारियों को आज भी वापस जाना पड़ा। वकीलों के कार्य बहिष्कार निर्णय के बाद भी जज अपने अपने कोर्ट में बैठे, परन्तु वकीलों की अनुपस्थिति के चलते वे अपने चैम्बरों में वापस चले गए।

ज्ञात हो कि मुकदमों की सुनवाई को लेकर प्रक्रियागत परेशानी, कोर्ट में वकीलों से दुर्व्यवहार समेत कई परेशानियों का निराकरण नहीं होने से क्षुब्ध हाईकोर्ट के वकील आज न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। यह निर्णय मंगलवार को हुई हाईकोर्ट बार एसोसिएशन कार्यकारिणी की आकस्मिक बैठक में लिया गया था।

मालूम हो कि बुधवार को बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी की अध्यक्षता व महासचिव विक्रांत पांडेय के संचालन में हुई बैठक में कार्यकारिणी ने हाईकोर्ट में वकीलों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया। इनमें कही अधिवक्ताओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार, कहीं मुकदमों को रिवाइज करने की पुरानी पद्धति को न मानना, हाईकोर्ट रूल्स में बिना संशोधन मनमाने ढंग से फाइलिंग व रिपोर्टिंग की प्रक्रिया में बदलाव करना, एडवोकेट रोल से सम्बंधित मांगे गए डाटा को देने से इनकार करने से क्षुब्ध होकर सर्वसम्मति से कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया था।

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