Friday, November 15, 2024

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया आदेश- विश्वनाथ मंदिर में शिवलिंग की कराई जाए कार्बन डेटिंग जांच

प्रयागराज – इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी- विश्वनाथ मंदिर परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच एवं साइंटिफिक सर्वे की मांग में दाखिल याचिका शुक्रवार को स्वीकार करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को आदेश दिया कि बिना क्षति पहुंचाए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच करे।

यह आदेश न्यायमूर्ति अर्विंद कुमार मिश्र ने लक्ष्मी देवी एवं अन्य की याचिका पर दिया है। वाराणसी की अधीनस्थ अदालत ने उच्चतम न्यायालय की यथास्थिति कायम रखने के आदेश के चलते कार्बन डेटिंग जांच कराने से इंकार कर दिया था जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने वाराणसी की अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है।

उच्च न्यायालय ने एएसआई के वकीलों से कहा है कि वाराणसी जिला अदालत के समक्ष 22 मई को पेश हों। इसके बाद वह इस मामले में आगे आदेश देगा कि कैसे साइंटिफिक सर्वे होना है। विष्णु शंकर जैन ने बताया कि अब शिवलिंग का सर्वे होना है यह तय हो चुका है। पहले इस पर संशय था। अब वाराणसी जिला अदालत तय करेगी कि किस तरह से शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे कराया जाना है।

याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी ने पक्ष रखा। याचिका पर अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन, ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ से एस एफ ए नकवी ने पक्ष रखा।
न्यायालय ने भारत सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुक़सान पहुंचाए बगैर कार्बन डेटिंग से जांच की जा सकती है। क्योंकि इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चलेगा। ए एस आई ने कहा बिना क्षति शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की जांच की जा सकती है।

गौरतलब है कि ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 2022 को कमीशन कार्यवाही के दौरान मिले कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे एएसआई से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल वाद जिला अदालत वाराणसी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उच्चतम न्यायालय ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय कर रही है। ऐसे में सिविल कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है।

जिला जज वाराणसी के 14 अक्टूबर 2022 को कार्बन डेटिंग की मांग वाली अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि साइंटिफिक जांच से शिवलिंग को क्षति पहुंचेगी। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी । याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई है। जिसे न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस के बाद स्वीकार कर लिया है। बिना क्षति पहुंचाये शिवलिंग की आयु का पता लगाने के जांच की अनुमति मिली है।

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