नई दिल्ली। अमेरिका और रूस वैश्विक राजनीति में दो ध्रुव की तरह हैं। कोई देश रूस के साथ होता है तो अमेरिका उससे दूर चला जाता है, वहीं अमेरिका से दोस्ती व्लादिमीर पुतिन को खटकती है। पर भारत ने दोनों को एक साधने में कामयाबी पाई है।
एक तरफ रूस का कहना है कि वह भारत के लिए पाकिस्तान की कुर्बानी को तैयार है। वहीं अमेरिका का कहना है कि उसे रूस से भारत के सस्ता तेल खरीदने पर कोई आपत्ति नहीं है। अमेरिका के यूरोपीय और यूरेशियाई मामलों की अतिरिक्त सचिव कैरेन डॉनफ्राइड ने बुधवार को कहा कि भारत के रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका को आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि हम नई दिल्ली पर इसे लेकर कोई प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं हैं।
डॉनफ्राइड ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारे भारत के साथ रिश्ते काफी अहम हैं। उन्होंने यूक्रेन के लोगों को भारत की ओर से मानवीय सहायता दिए जाने और रूस से यूक्रेन के साथ युद्ध को तुरंत खत्म करने की अपील करने पर भी भारत की सराहना की।
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इस सदी के अंत तक रूस का तेल और गैस भंडार आधा रह जाएगा। हम नहीं मानते कि प्रतिबंध लगाने की नीति सार्वभौमिक तौर पर सराही जाएगी। हम भारत के कदमों से संतुष्ट हैं। हमने रूस के बजट में गिरावट का परिणाम पहले ही देख लिया है। उन्होंने आगे कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी के इस विचार से सहमत हैं कि कि आज का समय युद्ध का नहीं है।
इस बीच रूस का कहना है कि हम भारत के साथ रिश्तों के लिए पाकिस्तान की कुर्बानी को तैयार हैं। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने बुधवार को कहा कि व्लादिमीर पुतिन की सरकार ने भारत के साथ रिश्तों को अटूट रखने के लिए पाक के साथ रक्षा संबंधों का गला घोंट दिया है।
उन्होंने कहा कि रूस कभी भी भारत को नुकसान पहुंचाने का काम नहीं करेगा। रूस के मंत्री सर्गेई लावरोव ने इससे पहले कहा कहा था कि हमारा देश रूस के साथ सैन्य संबंध बनाए रखेगा। बता दें कि 30 जनवरी को ही पाक के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो रूस के दौरे पर गए थे। हालांकि रूस ने पाकिस्तान को सस्ता तेल देने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा अब तक कोई बड़ी डिफेंस डील भी नहीं की है।