चंडीगढ़। हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज ने अफसरशाही पर उनकी सुनवाई नहीं किए जाने का आराेप लगाते हुए अपनी ही सरकार के विरूद्ध माेर्चा खाेल दिया है। विज ने अंबाला छावनी में साप्ताहिक खुला दरबार बंद करने तथा शिकायत निवारण कमेटियों की मासिक बैठकों में नहीं जाने का ऐलान किया है।
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भाजपा के तीसरे व नायब सैनी के दूसरे कार्यकाल में अनिल विज के पास परिवहन, ऊर्जा तथा श्रम मंत्रालय की जिम्मेदारी है। प्रदेश सरकार की बनाई गई जिला शिकायत निवारण कमेटियों के तहत विज के पास इस समय कैथल जिले का प्रभार है। विज ने 100 दिन के कार्यकाल के दौरान कई अधिकारियों तथा कर्मचारियों को निलंबित करने तथा उनके विरूद्ध विभागीय कार्रवाई के आदेश जारी कर चुके हैं, लेकिन विभाग के आला अधिकारियों ने मंत्री के आदेशों को लागू नहीं किया है। विज के अपने विधानसभा क्षेत्र में भी उनकी सिफारिश के बावजूद दागी कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही हैं। पिछले कई दिनों से इस पर अंदर ही अंदर चल रहा विवाद गुरुवार को खुलकर सामने आ गया।
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अनिल विज ने कहा कि वह शिकायत निवारण कमेटियों की बैठक नहीं लेंगे। क्योंकि बैठक में उनके द्वारा दी गई हिदायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। विज ने कहा कि अंबाला छावनी में भी उन्होंने जनता दरबार लगाना बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि अंबाला छावनी हलके की जनता ने उन्हें सात बार जिताया है। यहां की जनता के काम के लिए उन्हें अगर आंदोलन भी करना पड़ा तो वह पीछे नहीं हटेंगे। विज ने कहा कि अगर उन्हें डल्लेवाल की तरह आमरण अनशन भी करना पड़ा तो भी वह करेंगे।
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मनाेहर सरकार में भी हुए थे विवाद
यह पहला अवसर नहीं है जब अनिल विज ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। इससे पहले मनोहर सरकार के पहले व दूसरे कार्यकाल के दौरान भी अनिल विज और तत्कालीन मुख्यमंत्री के बीच कई अवसरों पर मतभेद खुलकर सामने आए थे। मनोहर सरकार के पहले व दूसरे कार्यकाल में कई अवसर ऐसे आए जब विज अपने ही विभागों के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इसके बाद 12 मार्च 2024 को जब मनोहर लाल के बाद नायब सैनी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया तो अनिल विज को मंत्री नहीं बनाया गया। सैनी सरकार के पहले कार्यकाल में भी विज खुलकर सैनी के विरूद्ध बोलते रहे हैं।