नई दिल्ली। जोशीमठ में सेना के हेलीपैड, अस्पताल, स्थानीय हेड क्वार्टर, कई यूनिट, बड़ी संख्या में जवान और 3 दर्जन से अधिक भवन एवं ईमारते हैं। जोशीमठ में आई आपदा के कारण यहां सेना के भवनों को नुकसान पहुंचा है। इस बीच सेना ने स्पष्ट किया है कि जोशीमठ से फॉरवर्ड पोस्ट तक पहुंचने में उसे अभी भी कोई परेशानी नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर सेना की इन टुकड़ियों को स्थाई तौर पर उत्तराखंड के औली में भी भेजा जा सकता है। गौरतलब है कि औली जोशीमठ से ऊपर भारत- चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप भारतीय क्षेत्र है। पिछले दिनों भारत और अमेरिका की सेनाओं ने यहां संयुक्त सैनिक अभ्यास किया था जिस पर चीन में अपना एतराज जताया था।
जोशीमठ में आई आपदा का असर यहा तैनात सेना की यूनिटों पर भी पड़ा है। सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने बताया कि जोशीमठ से जाने वाली सड़कों को कुछ नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन इससे फॉरवर्ड एरिया में भारतीय सेना की पहुंच पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है। सेनाध्यक्ष के मुताबिक बायपास रोड पर अस्थाई तौर पर होल्ड किया गया है। सेना अध्यक्ष का कहना है कि इस सबसे फॉरवर्ड एरिया एरिया में सेना की पहुंच पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है। जोशीमठ से आगे बढ़ती हुई हमारी जो मेन एक्सेस है उसको कोई डैमेज नहीं है। बॉर्डर एरिया में जाने वाले सेना के इन मार्गों पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है।
हालांकि जोशीमठ स्थित सैन्य ठिकानों को इस आपदा के दौरान नुकसान पहुंचा है। भारतीय थल सेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने इस इसकी पुष्टि की और बताया कि जोशीमठ स्थित उनके उनके भवनो में दरारें आ गई हैं। सेना अध्यक्ष जनरल पांडे ने बताया कि जोशीमठ में सेना के 28 भवनों को नुकसान पहुंचा है। सेना के इन सभी भवनों में दरारे पाई गई हैं। इसके फलस्वरूप वहां तैनात सेना के जवानों को अस्थाई तौर पर दूसरी जगहों पर भेजना पड़ा है।
सेनाध्यक्ष का कहना है कि यदि जरूरत पड़ी तो जोशीमठ में तैनात सेना को जोशीमठ से ऊपर भेजने का प्लान बनाया गया है। आर्मी चीफ ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर उत्तराखंड के औली में सेना की इन टुकड़ियों को स्थाई तौर पर भेजा जा सकता है। गौरतलब है कि औली जोशीमठ से ऊपर अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप भारतीय क्षेत्र है। जोशीमठ की सड़कों की स्थिति पर सेनाध्यक्ष ने कहा कि मेरी जानकारी में जोशीमठ से आगे माणा जाने वाली सड़कों पर अभी छोटी दरारे पाई गई है। गौरतलब है कि ‘माणा’ भारत का आखिरी गांव है और इसके आगे अंतरराष्ट्रीय सीमा है। सेना अध्यक्ष के मुताबिक बॉर्डर रोड ऑगेर्नाइजेशन डैमेज हुई इन सड़कों को रिपेयर करने में सफल हुआ है और कहीं कहीं पर अभी काम जारी है।
जोशीमठ में सेना का हॉस्पिटल है, हेलीपैड है व अन्य भवन मौजूद है। सेना अध्यक्ष का कहना है कि यदि आवश्यकता पड़ती है तो वह सिविलियन को अपने यह भवन शेल्टर के तौर पर मुहैया करा सकती है। इसके साथ ही सेना अध्यक्ष का कहना है कि आवश्यकता होने पर सेना राहत एवं बचाव कार्यों में हिस्सा लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है।