Saturday, November 2, 2024

विधानसभा चुनाव नतीजों का असर राज्यसभा चुनाव पर भी पड़ेगा

अभी-अभी सम्पन्न हुये पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का आगामी लोकसभा चुनावों पर असर पड़ेगा या नहीं, यह आने वाला वक्त ही बतायेगा लेकिन इन चुनावों का 2024 में होने वाले राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों पर अवश्य ही असर पड़ेगा। खास कर मध्य प्रदेश में भारी जीत से भाजपा को राज्यसभा में अतिरिक्त ताकत मिलेगी। यही नहीं, भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिये एकजुट हो रहे ‘इंडिया गठबंधन’ पर इन चुनावों का असर दिखाई देगा। बदली हुई परिस्थितियाँ में बीआरएस को भी एनडीए के पक्ष में लाया जा सकता है हालाँकि राज्यसभा में अब बीआरएस की ताकत कम हो जाएगी। एनडीए की ताकत बढऩे से आने वाले महीनों में राज्यसभा में कुछ विवादास्पद विधेयकों को पारित करने में आसानी होगी।
संसद के उच्च सदन में अगले वर्ष अप्रैल में 65 सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है, इसलिये 245 सदस्यीय राज्य सभा का अगले साल की शुरुआत में ही द्विवार्षिक चुनाव होना है जो कि सदस्यों के 6 साल का कार्यकाल पूरा होने पर होता है। राज्यसभा चुनाव में विधानसभा की सदस्य संख्या के आधार पर ही  विधायकों के मत मूल्य का निर्धारण किया जाता है। इससे ही तय होगा कि किस पार्टी के कितने सदस्य चुने जाएंगे। जिस पार्टी को ज्यादा सीटें मिलेंगी, उस पार्टी के मत मूल्य अधिक होंगे और उसी पार्टी से राज्यसभा सदस्य चुना जाएगा।
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों से अगले साल की शुरुआत में राज्यसभा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की ताकत में और वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और महाराष्ट्र में फैली 19 सीटों पर राजनीतिक समीकरण अब बदल गए हैं। अब एनडीए, जिसके पास पहले से ही उच्च सदन में 123 का बहुमत है, उसकी संख्या में वृद्धि तय है। बढ़ी ताकत से उसे संवैधानिक संशोधन सहित कुछ महत्वपूर्ण कानून पारित करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, एल मुरुगन (दोनों मध्य प्रदेश से), भूपेन्द्र यादव (राजस्थान), वी मुरलीधरन (महाराष्ट्र) और राजीव चन्द्रशेखर (कर्नाटक) अप्रैल 2024 में राज्यसभा में अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। इनका इन विधानसभाओं में दोबारा चुनाव होना तय है। मध्य प्रदेश में पांच सीटें खाली होनी हैं। उपरोक्त दो मंत्रियों के अलावा, राजमणि पटेल और कैलाश सोनी (दोनों कांग्रेस) भी सेवानिवृत्त होंगे। एक सीट के लिए 46 विधायकों के वोटों की जरूरत है, ऐसे में कांग्रेस को इन दो सीटों में से केवल एक ही सीट मिलने की संभावना है। एक अन्य राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह (भाजपा) भी अपना कार्यकाल पूरा करेंगे और भाजपा इस सीट को बरकरार रखेगी।
उच्च सदन में बीआरएस को अब बड़ा झटका लगेगा क्योंकि पार्टी के बीएल यादव, जे संतोष कुमार और आर वद्दीराजू अपना कार्यकाल पूरा करेंगे और अप्रैल में होने वाले चुनाव में पार्टी को केवल एक सीट मिलेगी। बाकी दो सीटों पर कांग्रेस को फायदा होगा। इसके अलावा कर्नाटक से चार सीटें खाली होंगी जहां कांग्रेस ने इस साल मई में सरकार बनाई थी। कांग्रेस से जीसी चन्द्रशेखर, एल हनुमंथैया, सैयद नासिर हुसैन और केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। राज्य में भाजपा के साथ मिलकर अलग हुई राकांपा और शिवसेना की सरकार बनने के बाद महाराष्ट्र से राज्यसभा में सदस्यों की संख्या में भी बदलाव हो सकता है। एनडीए को उच्च सदन में महाराष्ट्र से अपना प्रतिनिधित्व बढ़ाने की संभावना है। 245 सदस्यों वाले सदन में जहां 123 बहुमत का आंकड़ा है, बीजेपी के पास 94 सदस्य हैं और उसे बीजेडी और वाईएसआरसीपी से मुद्दा-आधारित समर्थन मिलेगा।
मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में इस बार भाजपा को 163 सीटें मिली हैं जबकि साल 2018 के चुनाव में भाजपा को केवल 109 सीटें मिलीं थी। बाद में ज्योति आदित्य सिंधिया के अपने साथी विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो जाने से भाजपा को पूर्ण बहुमत मिल गया था और कमलनाथ की सरकार गिर गयी थी। इसलिए भाजपा के 4 सदस्य राज्यसभा के लिए चुने गए थे जबकि एक सदस्य कांग्रेस की ओर से जीता था। भाजपा की ओर से धर्मेंद्र प्रधान, कैलाश सोनी, अजय प्रताप सिंह और थावरचंद गेहलोत चुने गए थे जबकि कांग्रेस की ओर से राजमणि पटेल चुने गए थे। अब इन सभी सदस्यों का कार्यकाल 2 अप्रैल 2024 को खत्म होने जा रहा है। मध्य प्रदेश के कोटे में 11 राज्यसभा सीटें हैं. इसमें वर्तमान में बीजेपी के पाले में 8 सदस्य हैं जबकि कांग्रेस के पास केवल तीन सदस्य हैं. इसमें दिग्विजय सिंह, राजमणि पटेल और विवेक तन्खा शामिल हैं। इसमें राजमणि की सदस्यता 2 अप्रैल 2024 को खत्म हो जाएगी। जबकि दिग्विजय सिंह की सदस्यता 21 जून 2026 को खत्म हो रही है। इसके अलावा विवेक तन्खा की सदस्यता 29 जून 2028 तक है।
विधानसभा चुनाव परिणाम अक्सर राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करते हैं। कई राज्यों में किसी विशेष पार्टी का मजबूत प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर पर उसकी स्थिति को मजबूत करता है। यह बढ़ी हुई ताकत उन्हें राज्य विधानसभाओं पर अपने प्रभाव के माध्यम से राज्यसभा में अधिक सीटें हासिल करने में मदद कर सकती है। यदि चुनाव परिणामों के कारण किसी भी राज्य में गठबंधन सरकार बनती है, तो इससे राजनीतिक दलों के बीच रणनीतिक गठबंधन या पुनर्गठन हो सकता है, जिससे राज्यसभा में उनकी सामूहिक ताकत पर असर पड़ सकता है।
सदस्यों की पर्याप्त संख्या राज्यसभा विधेयकों को पारित करने और विधायी कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है। यदि राज्य चुनावों के कारण राज्यसभा की संरचना में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होता है, तो यह केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित प्रमुख कानूनों के पारित होने या उसमें रुकावट को प्रभावित कर सकता है। राज्य विधानसभा चुनावों के परिणामों के आधार पर पार्टियां अपने गठबंधनों और रणनीतियों पर पुनर्विचार कर सकती हैं। यह पुनर्मूल्यांकन उन गठबंधनों को प्रभावित कर सकता है जो वे राज्यसभा चुनाव से पहले अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए बनाते या तोड़ते हैं।
-जयसिंह रावत
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