मुजफ्फरनगर। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मीरापुर में श्री सुक्खनलाल आदर्श कन्या इंटर कॉलेज व जानसठ में गोमती कन्या इंटर कॉलेज में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें छात्रों को यूपी बोर्ड परीक्षा के चलते छात्रों को तनाव ना लेने के बारे में जागरुक किया। इस दौरान विशेषज्ञों द्वारा छात्रों को मानसिक रोग के लक्षणों और इससे बचाव के बारे में जानकारी दी गई।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने बताया कि मानसिक बीमारी लाइलाज नहीं है। मानसिक बीमारी में केवल दुआ से काम नहीं चलेगा। दवा भी जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जिला अस्पताल में सेक्टर 30 ओपीडी लगती है वहां से निशुल्क उपचार लें।
नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया कि किसी बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य का उस युवा की शैक्षणिक सफलता पर काफी प्रभाव पड़ता है। स्वस्थ मानसिक स्थिति वाले बच्चे अधिक आसानी से ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, सामग्री को अधिक पूरी तरह से याद रख सकते हैं और सीखने में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं। जो बच्चे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जानते हैं वे अपने तनाव और चिंता को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं, जिससे उनकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार होता है इसलिए जरिरी है कि छात्र पढ़ाई के प्रति तनाव ना लें और बेहतर प्रदर्शन करें।
मनोचिकित्सक डॉ. अर्पण जैन ने बताया कि छात्रों को मानसिक रोगों के प्रति अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है। आगामी बोर्ड परीक्षा को लेकर छात्र किसी ना किसी कारण तनाव में हैं। तनाव में रहने से समस्याएं बढ़ती हैं। समस्या बहुत साधारण स्तर से शुरू होकर बाद में जटिल मानसिक रोग/ पागलपन का रूप ले लेती है। ऐसी समस्याओं को प्राथमिक स्तर पर काउंसलिग या योग के माध्यम से आसानी से दूर किया जा सकता है। मानसिक रोगों से बचने के लिए हमें जीवन-शैली में सुधार लाने और नियमित रूप से योग को अपनाने की जरूरत है।
साईकोथेरेपिस्ट मनोज कुमार ने बताया कि विद्यार्थियों का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा होता है। इसमें कई बार तनाव हो जाता है। कैसे बचाव करना है। छात्र छात्राओं से कहा गया कि वे अपनी दिक्कतों को परिवार के साथ शेयर करें। इससे तनाव नहीं होने पाएगा। यदि किसी छात्र को मानसिक परेशानी होती है तो वह जिला अस्पताल में ओपीडी में निशुल्क इलाज करवा सकता है।
मानसिक रोग के प्रमुख लक्षण-
रात को नींद न आना।
बहुत ज्यादा बोलना या बिल्कुल न बोलना।
अपनी कही हुई बातों को बार-बार दोहराना या भूल जाना।
दरवाजा बार-बार बंद करना और खोलना या कुंजी बार-बार चेक करना।
बिना किसी कारण के बहुत गुस्सा करना या रोना, चिड़चिड़ा हो जाना आदि।
अगर किसी छात्र-छात्रा को किसी वजह से कोई परेशानी हो रही है और मानसिक तनाव है तो सबसे पहले अपने अभिभावकों को बताएं। यदि फिर भी समाधान न निकल सके तो जिला अस्पताल की ओपीडी में दिखा सकते हैं।