प्रकृति ने प्राणी मात्र के कल्याण के लिये विभिन्न प्रकार की अमूल्य वनस्पतियां उपलब्ध करा रखी हैं। आवश्यकता है सिर्फ उनके बारे में जानने की और उचित प्रयोग की।
आयुर्वेदिक ग्रन्थों में इनका पूर्ण विवरण लिखा है। नीम, तुलसी, नींबू और आंवला ऐसे पौधे हैं जो रोग प्रतिरोधक शक्ति का खजाना हैं। आयुर्वेेदिक ग्रन्थों में तो विषय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध है लेकिन यहां पर पाठकों की जानकारी के लिए संक्षेप में कुछ गुण बताये जा रहे हैं।
नीम – नीम एक सहज सुलभ प्राकृतिक औषधि है जो एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक है। नीम मलेरिया की भी औषधि है। नीम चर्म रोगों में भी कारगर होती है। यह गले सड़े घावों में औषधि के रूप में काम आती है। नीम से गर्भ निरोधक औषधि भी तैयार होने लगी है और भी विभिन्न प्रकार के रोगों में इसकी औषधियों का प्रयोग होता है।
तुलसी – तुलसी भी (एन्टीबायोटिक) रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला पौधा है। यह सभी प्रकार के बुखार एवं खांसी की दवा के काम आती है। यह अन्य कहीं प्रकार के रोगों में भी काम आती है। तुलसी में जबरदस्त प्रतिरोधक क्षमता है।
नींबू – नींबू भी भरपूर रोग प्रतिरोधक क्षमता रखता है। इसका नियमित प्रयोग सभी प्रकार के संक्रामक रोगों से बचाव करता है। नींबू पेट एवं त्वचा की विभिन्न बीमारियों में प्रयोग होता है। मोटापा कम करने की अचूक औषधि है।
आंवला – आंवला एक बहुआयामी औषधि है जो विटामिन सी का भरपूर खजाना होने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता का खजाना भी है। अनेक रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है। इसका स्वादिष्ट मुरब्बा स्वास्थ्य के लिये रामबाण है।
-नवलसिंह यादव