काठमांडू। नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच छिड़ी अहम की लड़ाई में ‘राष्ट्रपति पद’ पर उम्मीदवार का चयन करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। सत्ताधारी गठबंधन टूटके करीब है।
प्रधानमंत्री और सीपीएन (एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड ने साफ कर दिया है कि सीपीएन यूएमएल को किसी भी परिस्थिति में राष्ट्रपति पद नहीं दिया जाएगा। यह साफ होते ही यूएमएल अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने नई रणनीति अपनाई है।
ओली ने सोमवार शाम सीपीएन (एकीकृत समाजवादी) के अध्यक्ष माधव कुमार को राष्ट्रपति पद का प्रस्ताव दिया। उन्होंने दोनों दलों की एकता की शर्त के साथ यह प्रस्ताव रखा है। पूर्व प्रधानमंत्री ने यूएमएल से अलग होकर एकीकृत समाजवादी का गठन किया है। यह पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ विपक्षी गठबंधन में है।
यूएमएल के प्रवक्ता पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कहा कि बैठक में एक साथ रहने पर चर्चा हुई है। माधव नेपाल के करीबी एकीकृत समाजवादी के नेता सोम प्रसाद पांडेय ने बताया कि ओली से मुलाकात के बाद आगे की बातचीत चल रही है।
प्रचंड ने इस पद के लिए नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन करने का वादा किया है। नेपाली कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. प्रकाश शरण महत ने इसकी पुष्टि की है। सीपीएन (एमसी)के के प्रवक्ता कृष्ण बहादुर महरा ने कहा कि प्रचंड को यह तय करने का अधिकार दिया गया है कि किस उम्मीदवार का समर्थन करना है।
कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडेल को उम्मीदवार बनाने की तैयारी की है। पार्टी के सभापति शेर बहादुर देउबा को भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है। एक पक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कृष्ण प्रसाद सिटौला के लिए लॉबिंग कर रहा है। वैसे मौजूदा घटनाक्रम से यह संकेत मिल रहे हैं कि भविष्य में नेपाल का शक्ति संतुलन बिगड़ने वाला है। नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव 9 मार्च को होना है। 25 फरवरी को नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी।