Wednesday, February 5, 2025

गन्ने का मूल्य ₹450 प्रति कुंतल घोषित करने की मांग, भारतीय किसान यूनियन का सरकार को ज्ञापन

लखनऊ। भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) ने आज दिनांक 10 जनवरी 2025 को उत्तर प्रदेश सरकार से गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य (एसएपी) ₹450 प्रति कुंतल अविलंब घोषित करने की मांग की। संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने बापू भवन स्थित कार्यालय में प्रमुख सचिव गन्ना एवं चीनी उद्योग, वीणा कुमारी से मुलाकात कर किसानों की समस्याएं सामने रखीं।

भाकियू (अराजनैतिक) के प्रदेश अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा, राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक, और युवा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी दिगंबर सिंह ने प्रमुख सचिव को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में गन्ने का मूल्य अभी तक घोषित नहीं किया गया है, जबकि हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों ने पहले ही अपने गन्ने का मूल्य घोषित कर दिया है। इससे उत्तर प्रदेश के किसान असमंजस में हैं और उन्हें फसल के उचित मूल्य को लेकर अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है।

 

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ज्ञापन में यह बताया गया कि उत्तर प्रदेश में 28.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती होती है। पिछली फसल में लगभग 24 करोड़ कुंतल गन्ना चीनी मिलों को आपूर्ति किया गया था। अगर उत्तर प्रदेश के किसानों को हरियाणा और पंजाब के बराबर गन्ने का मूल्य मिलता, तो पिछले तीन सालों में किसानों को क्रमशः ₹1200 करोड़ और ₹1464 करोड़ का अधिक लाभ होता।

ज्ञापन में किसानों की बढ़ती उत्पादन लागत और गन्ने की पैदावार में कमी को भी उजागर किया गया। भाकियू का दावा है कि गन्ना मूल्य न बढ़ने से शुगर मिलों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं हो रही, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है।

भाकियू (अराजनैतिक) ने सरकार से गन्ना मूल्य बढ़ाकर ₹450 प्रति कुंतल अविलंब घोषित करने की मांग की। साथ ही, पिछला गन्ना भुगतान भी शीघ्र करने की बात कही।

 

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भाकियू ने पंजाब और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों में घोषित गन्ने के मूल्य का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के किसान आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं।अगर 2022-23 में पंजाब के बराबर मूल्य मिलता, तो यूपी के किसानों को ₹720 करोड़ का अतिरिक्त लाभ होता।हरियाणा के बराबर मूल्य मिलने पर ₹528 करोड़ का फायदा होता। पिछले तीन वर्षों में, हरियाणा और पंजाब के मुकाबले उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को क्रमशः ₹1200 करोड़ और ₹1464 करोड़ का नुकसान हुआ है।

राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि गन्ना किसान उत्तर प्रदेश की चीनी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं, लेकिन उन्हें उनके श्रम का उचित मूल्य नहीं मिल रहा। प्रदेश अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा ने कहा कि सरकार को किसानों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए और जल्द से जल्द गन्ने का मूल्य घोषित करना चाहिए।

 

 

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भाकियू ने स्पष्ट किया कि अगर जल्द ही उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो किसानों को सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ेगा। संगठन ने सरकार से शीघ्र समाधान की अपील की है।

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